सीमांत गांव चिलोंड के ग्रामीण करेंगे चुनाव बहिष्कार
ग्रामीणों ने लिया रोड़ नहीं तो वोट नहीं का निर्णय
रुद्रप्रयाग। विकासखण्ड ऊखीमठ की सीमांत ग्राम पंचायत चिलोंड के ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार का ऐलान कर दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि विगत कई वर्षों से ग्रामीण गांव को मोटरमार्ग से जोड़ने की मांग कर रहे हैं, लेकिन गांव आज तक मोटरमार्ग से नहीं जुड़ पाया है और सड़क निर्माण का कार्य अधर में लटका है। ग्रामीणों को आवाजाही करने के साथ ही बीमार लोगों को चिकित्सालय पहुंचाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों ने एक स्वर में 14 फरवरी को संपंन होने वाले विधानसभा चुनाव बहिष्कार का निर्णय लिया है।
पूर्व में सीमांत ग्राम पंचायत चिलोंड के ग्रामीणों ने उप जिलाधिकारी एवं लोक निर्माण विभाग ऊखीमठ के अधिशासी अभियंता को ज्ञापन भेजा था कि वर्ष 2006 में जाल बैंड से चिलोंड तक दो किमी सड़क की स्वीकृति जिला योजना के तहत मिली थी। जिसकी सैद्धांतिक स्वीकृति 2017 में मिली। जिस कारण ग्रामीणों में आक्रोश है। सड़क निर्माण न होने पर ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दी।
जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया और लोनिवि के अधिशासी अभियंता ग्रामीणों से वार्ता करने भी पहुंचे, लेकिन ग्रामीण अपनी जिद पर अड़े रहे और सड़क निर्माण न होने पर चुनाव बहिष्कार करने का निर्णय लिया। ग्राम प्रधान सरिता देवी, पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य कृपाल सिंह राणा, पूर्व प्रधान प्रेमा राणा, उप प्रधान शशि राणा, बीरबल सिंह राणा, सौंणी देवी, आशा देवी आदि लोगों ने कहा कि पिछले दो वर्षों से पचास मीटर सड़क तक नहीं बन पाई है। जबकि सरकार और विभाग के पास मोटरपुल निर्माण के लिये नौ लाख रूपये तक नहीं हैं। ग्रामीण मोटरमार्ग निर्माण की मांग करते-करते थक चुके हैं, लेकिन ग्रामीणों की नहीं सुनी जा रही है और मोटरमार्ग न होने के कारण ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है। ऐसे में ग्रामीणों ने इस बार विधानसभा चुनाव बहिष्कार का निर्णय ले लिया है।