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पैराग्लाइडिंग हादसे के दौरान भारतीय नौसेना के कैप्टन की मौत..

भारतीय नौसेना

पैराग्लाइडिंग हादसे के दौरान भारतीय नौसेना के कैप्टन की मौत..

देश-विदेश : कोरोनावायरस महामारी के चलते पैराग्लाइडिंग गतिविधियों पर पिछले छह महीने से रोक लगी हुई थी. इसे शुक्रवार को ही दोबारा खोला गया था और लाइफ गार्ड्स शुक्रवार को ही अपनी ड्यूटी पर लौटे हैं. समुद्र में हवा की दिशा के हिसाब से बीच पर पैराग्लाइडिंग की जाती है. बताया जा रहा है कि कारवार बीच पर तीन सालों से पैराग्लाइडिंग चल रही है और इतने समय में यह ऐसा पहला हादसा है जिसमें किसी की मौत हुई है.

 

हादसे के दौरान पैरामोटर का सहायक बाहर निकल आने में सफल रहा. सहायक को लाइफ गार्ड्स और मछुआरों ने सुरक्षित बचा लिया. कैप्टन के परिवार वालों ने बताया कि उन सभी लोगों ने पैरामोटर से उड़ान भरी थी और आखिरी में फ्लाइंग के लिए वो गए थे. ग्लाइडर जब करीब 100 फीट की ऊंचाई पर उड़ान भर रहा था, उस दौरान कोई तकनीकी खराबी आ गई. इसके चलते इंजन बंद हो गया और वो सागर में गिर पड़ा.

 

यह हादसा कर्नाटक के कारवार बीच (Karwar Beach) के पास हुआ. मतृक कैप्टन की पहचान 55 वर्षीय मधुसूदन रेड्डी के रूप में हुई है. वो आंध्र प्रदेश के रहने वाले थे. रेड्डी कारवार में भारतीय नौसेना में कार्यरत थे. रेड्डी के परिवार वाले शुक्रवार की सुबह ही बेंगलुरु से कारवार आए थे. ये सभी लोग शाम को बीच पर ही मौजूद थे.

पैरापायलट विद्याधर वैद्य भी सागर में गिर पड़े लेकिन उन्हें तुंरत ही मछुआरों और लाइफ गार्ड्स ने बचा लिया. वैद्य पुणे के रहने वाले हैं और वो ही ग्लाइडर के मालिक हैं. मधुसूदन जो कि एक अच्छे तैराक हैं वो अपनी सीट पर फंस गए थे. ग्लाइडर के गिरने पर वो पानी के अंदर डूब गए थे और उन्हें ढूंढने में भी काफी समय लग गया.

समय से नहीं पहुंची एंबुलेंस..

पुलिस ने बताया कि रेड्डी को जब समुद्र के किनारे लाया गया उस समय वो जिंदा थे. लेकिन जिला अस्पताल की एंबुलेस आधे घंटे तक नहीं पहुंची. जबकि दुर्घटना स्थल से आधे किलोमीटर की ही दूरी पर अस्पताल था. बाद में पुलिस ही उन्हें अपनी जीप से अस्पताल लेकर गई. लेकिन अस्पताल पहुंचते ही डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.

 

 

 

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