मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर अन्य 23 गांवों के विस्थापन के लिए धनराशि जारी करने भी उठाई मांग..
आपदा की दृष्टि से अतिसंवेदनशील है रुद्रप्रयाग जनपद..
रुद्रप्रयाग। जन अधिकार मंच रुद्रप्रयाग ने आपदा प्रभावित सिरवाड़ी सहित जनपद के 23 गांवों को विस्थापित करने की मांग की है। इसको लेकर जन अधिकार मंच ने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को भी पत्र भेजा है।
जन अधिकार मंच के अध्यक्ष मोहित डिमरी ने कहा कि रुद्रप्रयाग जनपद आपदा की दृष्टि से अति संवेदनशील रहा है। कभी भूस्खलन, कभी बाढ़ तो कभी भूकंप से यहां के लोगों ने भारी नुकसान झेला है। पिछले सप्ताह रविवार 9 अगस्त को तहसील जखोली की ग्राम पंचायत सिरवाड़ी में बादल फटने से भारी तबाही मची थी। लगातार हो रहे भूस्खलन के चलते ग्रामीण भयाक्रांत हैं।
इस क्षेत्र में जगह-जगह बरसाती गधेरों ने रूप ले लिया है। स्थिति यह है कि गांव के ऊपर जमीन धंस रही है। ऐसी परिस्थितियों में ग्रामीणों को फौरी तौर पर सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया जाना जरूरी है। इसके साथ ही आपदा प्रभावित सिरवाड़ी गांव को विस्थापित करने के लिए सुरक्षित स्थान पर जमीन चिन्हित की जानी जरूरी है। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग करते हुए कहा कि सिरवाड़ी गांव के विस्थापन हेतु संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया जाय।
जन अधिकार मंच के अध्यक्ष मोहित डिमरी ने कहा कि भूगर्भ की रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है कि रुद्रप्रयाग जनपद में 23 गांव भूस्खलन की दृष्टि से अतिसंवेदनशील है। इसके मद्देजनर करीब छह वर्ष पूर्व इन गांवों के विस्थापन के लिए शासन को रिपोर्ट भेजी गई थी और 23 गांवों के 472 परिवारों को विस्थापित करने के लिए शासन से प्रति परिवार 3.5 लाख रुपये के हिसाब से 16 करोड 52 लाख की मांग की गई थी। लेकिन अभी तक शासन ने इन गांवों के विस्थापन के लिए धनराशि जारी नहीं की। ऐसे में आपदा प्रभावित ग्रामीण आज भी खतरे के साए में रहने को मजबूर हैं।
प्रशासन की ओर से जिन गांवों को विस्थापित करने की सूची भेजी गई थी, उसमें पांजणा, जैली, मूसाढूंग का सुनाई तोक, कालीमठ, कुणजेठी, जागतल्ला, बलसुण्डी, बीरोंदेवल खालीतोक, सेमी तल्ली दैड़ा, सिल्ला बमणगांव, चमराड़ा, गिरिया, कविल्ठा, ऊखीमठ, नागजई का जाख तोक, टेमरियावल्ला, दिलमी, टाटलग्गा फेगू, डमार, मलाऊं, कुंडा दानकोट का धोकाणी तोक शामिल है।
उन्होंने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में कहा कि सिरवाड़ी गांव सहित अन्य 23 गांवों को किसी बड़ी अनहोनी से पहले सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया जाना जरूरी है। भविष्य में इन गांवों में किसी तरह की आपदा के कारण नुकसान होता है तो इसकी जिम्मेदारी शासन की होगी।