उत्तराखंड

प्रदूषण के नाम पर छीन लिया गया जंतर-मंतर

जंतर-मंतर

इन्द्रेश मैखुरी

सोशल मीडिया। असहमति या विरोध प्रकट करने का अधिकार, किसी भी लोकतंत्र का आधारभूत तत्व है. लेकिन दिल्ली में विरोध प्रदर्शन की जगह जन्तर-मन्तर को एन.जी.टी के आदेश के बाद धरना-प्रदर्शन के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है.

जन्तर-मंतर पर सुनवाई होती थी कि नहीं, कहा नहीं जा सकता. लेकिन देश के तमाम हिस्सों से अपनी आवाज बुलंद करने और अपनी पीड़ा व्यक्त करने लोग जन्तर-मंतर पर आते थे. देश सुधारने के विचित्र-विचित्र विचारों के तम्बू भी वहां लगे होते थे. बहुत साल पहले देखा था कि ‘जूता मारो आन्दोलन’ का तम्बू लगा है. इनका सूत्रीकरण यह था कि देश में बढ़ते भ्रष्टाचार से निपटने के लिए जूता मारना ही समाधान रहा गया है ! है तो विचित्र,इससे सहमत भी नहीं हुआ जा सकता. पर जन्तर-मंतर में ये भी जगह पा जाते थे.

3-4 साल पहले देखा था कि जम्मू के ऐसे लोगों का धरना लगा हुआ है, जिनका दावा था कि उन्होंने भारतीय गुप्तचर एजेंसियों के लिए काम किया है. पर ये एजेंसियाँ उनको मान्यता नहीं दे रही हैं. मैंने उन से पूछा कि सीमा पार भी आपके जैसे लोग हैं? तो उनके नेता ने बताया कि उस पार वालों की तो हमसे बुरी हालत है, वे तो अपनी बात हमारी तरह कह भी नहीं सकते. मैंने पूछा कि आपने कैसे सोचा कि आपको,यह काम करना चाहिए? आदमी सोचता है कि डाक्टर, बनूँगा, वकील बनूँगा,, दूकानदार बनूँगा,पर जासूसी एजेंसी का एजेंट बनूँगा?????  इस पर उनके नेता जी हत्थे से उखड़ गये और कहने लगे- आपकी भाषा तो एजेंसी के लोगों वाली है! इनका दावा था-हम तो patriot(देशभक्त) लोग हैं, इसलिए सरकार को हमारी बात सुननी चाहिए.

देश भर के जनांदोलनों की मंजिल था-जन्तर-मंतर. न जाने कितने ही जुल्म के मारे, जिनकी कहीं सुनवाई नहीं होती थी, वे जंतर-मंतर पर सुनवाई की आस में बैठ रहते थे. संभवतः यह सोच होती होगी, देश के किसी सुदूर हिस्से में तो हमारी आवाज सरकार के ऊँचे कानों तक नहीं पहुँच रही है. क्या पता-संसद के नजदीक जा कर ही हमारी आवाज सुन ली जाए ! लेकिन अब यह जन्तर-मंतर प्रदूषण के नाम पर छीन लिया गया है. प्रदर्शन के लिए नयी जगह बतायी गयी है-रामलीला मैदान. यह वर्तमान में उत्तरी दिल्ली नगर निगम के पास है.indian express(http://indianexpress.com/article/cities/delhi/ramlila-maidan-cannot-be-used-as-protest-site-for-free-north-body-4914604/) और the wire(http://thewirehindi.com/23277/50000-fees-for-protesting-in-ramlila-maidan/) में छपी रिपोर्टों के अनुसार उत्तरी दिल्ली नगर निगम कह रहा है कि वो एक समय पर एक ही पार्टी को यह स्थल दे सकते हैं और इसका तगड़ा शुल्क चुकाना होगा. निगम के अनुसार यह कीमत है-पचास हजार रूपया. सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करना चाहें तो पहले सरकार के एक घटक को पचास हजार रूपया चुकाएं!वरना आपको अपनी आवाज उठाने का भी हक़ नहीं है.यानि विरोध प्रदर्शन भी हमारे लोकतंत्र में एक विलास(luxury) में तब्दील किया जा रहा है.

आप चुनाव लड़ना चाहते हैं तो उसकी प्राथमिक शर्त है कि आपके पास विधानसभा के नामांकन के लिए दस हजार रुपये होने चाहिए और लोकसभा के लिए पच्चीस हजार ! और अब यह नया फरमान कि विरोध प्रदर्शन करने के लिए पचास हजार रुपये चाहिए ! हम दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र हैं और इस लोकतंत्र के सरकारी पहरुए-सबसे बड़े वसूली एजेंट !
-इन्द्रेश मैखुरी

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