उत्तराखंड

हिमाचल के नंबर की कार से आधी रात में चेकिंग को निकले डीआइजी…

हिमाचल के नंबर की कार से आधी रात में चेकिंग को निकले डीआइजी…

उत्तराखंड : रात्रि ड्यूटी में तैनात पुलिसकर्मियों की मुस्तैदी परखने के लिए उप महानिरीक्षक (डीआइजी) अरुण मोहन जोशी रविवार को आधी रात के बाद शहर का भ्रमण करने निकले। पुलिसकर्मी पहचान न सकें, इसके लिए उन्होंने चेहरे पर मास्क लगा रखा था और सरकारी वाहन की बजाय हिमाचल प्रदेश के नंबर की कार का चयन किया। अच्छी बात यह रही कि डीआइजी जिन दो पिकेट से गुजरे, वहां पुलिसकर्मी सतर्क नजर आए। उन्होंने अच्छी तरह जांच-पड़ताल करने के बाद ही डीआइजी की कार को आगे जाने दिया।

इन्हें मिलेगा पुरस्कार..

पुलिसकर्मियों की मुस्तैदी को देख कर खुश डीआइजी ने उन्हें पुरस्कृत करने की घोषणा की है। जिन पुलिसकर्मियों को सम्मानित किया जाएगा उनमें हेड कांस्टेबल जयभगवान गिरी, कांस्टेबल हिमांशु, कांस्टेबल विजय भास्कर, कांस्टेबल नवीन कुमार, कांस्टेबल आशीष नैनवाल, कांस्टेबल प्रदीप सिंह, कांस्टेबल संदीप राठी और कांस्टेबल अनूप कुमार शामिल हैं।

 

 

सबसे पहले डीआइजी राजपुर रोड स्थित डायवर्जन पर पहुंचे। उस वक्त रात के करीब डेढ़ बजे थे। वहां तैनात पुलिसकर्मियों ने डीआइजी की कार को रोका और चालक से वाहन के दस्तावेज लेने के साथ ही मोबाइल नंबर, नाम, पता और रात में घूमने की वजह पूछी। चालक ने पूरी जानकारी उपलब्ध कराई, जिसे पुलिसकर्मियों ने रजिस्टर में दर्ज कर वाहन को आगे जाने दिया। इसके बाद डीआइजी की कार प्रिंस चौक पहुंची। यहां भी चालक से करीब 15 मिनट तक पूछताछ करने के बाद वाहन को आगे जाने दिया गया।

दोनों पिकेट पर पुलिसकर्मियों को पता नहीं चल पाया कि वाहन में डीआइजी बैठे हैं। साथ ही रात को ठंड शुरू होने के साथ डीआइजी ने रात्रि ड्यूटी पर पिकेटों पर तैनात स्टाफ के लिए चाय उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने प्रतिसार निरीक्षक पुलिस लाइन को निर्देशित किया है कि ड्यूटी पर तैनात सारे स्टाफ को चाय दी जाए। पुलिस लाइन एक वाहन से चाय लेकर कर्मचारी निकलेंगे जोकि सभी पिकेटों से होते हुए ड्यूटी पर तैनात स्टाफ को चाय बांटते हुए जाएगा।

 

 

डीआइजी अरुण मोहन जोशी ने कहा कि त्योहार के दौरान और ठंड के मौसम में चोरी जैसे अपराध बढ़ जाते हैं। इसे रोकने के लिए पुलिस का रात्रि ड्यूटी में मुस्तैद रहना जरूरी है। इसकी जांच के लिए रात को शहर में निकला था। पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी के प्रति मुस्तैद दिखे। इसलिए उन्हें नकद पुरस्कार देने की घोषणा की गई है।

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