उत्तराखंड

सरकार के खिलाफ कोर्ट जाएंगे तीर्थ पुरोहित हक -हकूकधारी…

देहरादून: दो घंटे की चर्चा और विधायकों के सुझावों के बाद सरकार ने चारधाम से संबंधित प्रबंधन विधेयक को विधानसभा में पारित कर दिया। पूर्व में चारधाम श्राइन बोर्ड के नाम से पेश विधेयक का नाम बदलकर चारधाम देवस्थानम प्रबंधन कर दिया गया है। हालांकि, नाम बदलने से भी तीर्थ पुरोहितों का आक्रोश शांत नहीं हो रहा है। तीर्थ पुरोहितों ने सरकार पर गुमराह करने का अरोप लगाते हुए हाईकोर्ट जाने का एलान किया है।

सदन से विधेयक पारित किए जाने पर देवभूमि तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत ने पुरजोर विरोध किया है। मंगलवार को हुई बैठक में महापंचायत के सदस्यों ने सरकार के इस कदम पर नाराजगी जताई और सर्वसम्मति से सरकार के निर्णय को न्यायालय में चुनौती देने की घोषणा। महापंचायत के अध्यक्ष कृष्णकात कोटियाल ने बताया कि बैठक में विधि विशेषज्ञों की नौ सदस्यीय कोर कमेटी का गठन किया गया। जल्द ही यह कोर कमेटी सभी तथ्यों का अध्ययन एवं विश्लेषण करने के बाद उच्च न्यायालय में वाद दायर करेगी। महापंचायत के महामंत्री हरीश डिमरी ने कहा कि सरकार ने तीर्थ पुरोहितों एवं हक हकूकधारियों के साथ विश्वासघात किया है। बिना विश्वास में लिए इस विधेयक को सदन से पारित किया गया, उससे सरकार की मंशा पर संदेह खड़ा होता है। उन्होंने बताया कि पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार तीर्थ पुरोहित और हक हूककधारी विरोध-प्रदर्शन जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि आगामी 18 दिसंबर को उत्तरकाशी में विशाल आक्रोश रैली और 20 दिसंबर को श्रीनगर में महारैली का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान पैनखंडा तीर्थ पुरोहित व हकहकूकधारी महापंचायत, केंद्रीय डिमरी महापंचायत, गंगोत्री तीर्थ पुरोहित महासभा, यमुनोत्री पुरोहित महासभा, केदारनाथ तीर्थ पुरोहित महासभा के अलावा देवप्रयाग पंडा समाज, चंद्रबदनी मंदिर समिति, मेड़ता भंडारी कमदी थोक, पांडु़केश्वर के तीर्थ पुरोहित व हकहकूक धारी विधानसभा कूच में शामिल हुए।

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