उत्तराखंड

पहाड़ में बारिश का क़हर

दो दिन से लगातार हो रही बारिश के कारण यात्रा पड़ी फीकी
यात्रा में भी आई भारी गिरावट, आंकड़ा पहुंचा तीन लाख 70 हजार के पार
डेढ़ घंटे बद्रीनाथ हाईवे सिरोबगड़ में रहा बंद
केदारनाथ हाईवे पर जगह-जगह आया मलबा और बोल्डर
यात्रियों को आवागमन में हो रही दिक्कतें
बरसात से मंदाकिनी-अलकनंदा नदियों के साथ ही गाड़-गदेरे उफान पर
नदियों के किनारे बसे लोगों के सामने आई दिक्कतें

रोहित डिमरी
रुद्रप्रयाग। मौसम विभाग की चेतावनी सटीक साबित हो रही है। इसके साथ ही पहाड़ी क्षेत्रों की जनता की समस्याएं बढ़ने के साथ ही यात्रा में भी खलल पैदा होने लगा है। जहां बारिश के कारण यात्री फीकी पड़ गई है, वहीं ग्रामीण इलाकों में मोटरमार्गों पर पेड़ गिरने और मलबा आने से ग्रामीण जनता की समस्याएं बढ़ गई है। इसके साथ ही बद्रीनाथ और केदारनाथ हाईवे भी जानलेवा बन गया है। दोनों हाईवे के डेंजर जोन सक्रिय हो गये हैं, जो अब बरसाती सीजन में यात्रियों के लिए मुसीबत बन जायेंगे। बारिश से मंदाकिनी व अलकनंदा का जल स्तर बढ़ने के साथ ही गाड़-गदेरे भी उफान पर आ गये हैं। ऐसे में आस-पास के आवासीय भवनों को भी खतरा बन गया है। गदेरों के उफान पर आने से नलों पर भी गंदा पानी आने से लोग परेशान हैं।

पहाड़ी जिलों में बरसाती सीजन शुरू होते ही परेशानियों का दौर भी शुरू हो गया है। लगातार हो रही बरसात ने लोगों की दिक्कतें भी बढ़ा दी हैं। बारिश के कारण काम-काज प्रभावित होने लगा है। केदारनाथ यात्रा का आंकड़ा भी काफी गिर चुका है। यात्रा मार्ग फिर से सूने पड़ने लगे हैं और यात्रियों की चहलकदमी मानों समाप्त सी हो गई है। बारिश से यात्रा पर खासा असर देखने को मिल रहा है। जहां एक सप्ताह पूर्व यात्रा में हर दिन एक से डेढ़ हजार यात्री पहुंचते ही थे, वहीं अब तीन से चार सौ के बीच ही यात्री पहुंच रहे हैं। ऐसे में यात्रा मार्ग पर व्यवसाय कर रहे व्यापारियों के चेहरों पर मायूसी छा गई है। वैसे यात्रा का आंकड़ा अब तक तीन लाख 70 हजार के पार पहुंच चुका है।

तेज बारिश के चलते बद्रीनाथ और केदारनाथ हाईवे पर लूज प्वाइंट खिसकने लगे हैं, जिससे राजमार्ग पर मलबा आ रहा है। मलबे को साफ करने में बीआरओ और लोनिवि एनएच खण्ड के पसीने छूट रहे हैं। बद्रीनाथ हाईवे पर सिरोबगड़ बीआरओ के लिए परेशानी का सबब बना है। बरसात शुरू होते ही सिरोबगड़ में भारी मात्रा में मलबा आ रहा है। यहां पर बरसाती सीजन में हर बार मलबा आने से राजमार्ग बंद हो जाता है। व्यवस्था के तौर पर भले ही विभाग की ओर छांतीखाल-डुंग्रीपंथ मोटरमार्ग का निर्माण किया गया है, मगर इस मार्ग पर अभी डामरीकरण का कार्य चल रहा है और निर्माण कार्य में शिकायत भी मिल रही है। वहीं बरसात के कारण तिलवाड़ा-मयाली मोटरमार्ग पर भी पेड़ गिर गये, जिसे हटाने में विभाग ने काफी देर लगा दी। ऐसे में लोगों को स्वयं ही पेड़ों को हटाना पड़ा।

बारिश के कहर से मंदाकिनी-अलकनंदा नदियों के साथ ही गाड़-गदेरे भी उफान पर आ गये हैं। नदियों और गाड़-गदेरों के उफान पर आने से आस-पास के भवनों को भी खतरा पैदा हो गया है। भवन स्वामी भी चिंतित हैं कि जब नदियों का जल स्तर बढ़ेगा तो वे कहां जायेंगे। प्रशासन की ओर से नदियों के जल स्तर पर नजर रखी जा रही है और लोगों को भी चेताया जा रहा है कि वे हर समय तैयार रहें। अगले 72 घंटों के लिए भी पहाड़ी जिलों में भारी बारिश की चेतावनी दी गई है। ऐसे में जरूरी है कि हर किसी को सचेत रहना होगा।

तेज बरसात के कारण नदियों और गाड़-गदेरे का पानी मटमेला होने लगा है, जिससे नलों में भी गंदे पानी की सप्लाई होने लगी है। ऐसे में उपभोक्ताओं को खासी दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं। जहां ग्रामीण इलाकों में पानी की आपूर्ति प्राकृतिक स्त्रोत से पूरी की जा रही है, वहीं शहरी इलाकों में गंदा पानी पीकर ही काम चलाना पड़ रहा है। ऐसे में लोगों को बीमारी का डर भी सता रहा है।

  

वहीं इस संबंध में जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल का कहना है कि तेज बरसात के चलते पुनाड़ गदेरे के उफान पर आने से पानी मटमेला आ रहा है। विभागीय अभियंताओं को सख्त निर्देश दिये गये हैं कि बरसात के दौरान गदेरे में पानी गंदा आने पर सप्लाई बंद कर दी जाय और वाॅटर फिल्ट्रेशन के जरिये उपभोक्ताओं को स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति की जाय।

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