उत्तराखंड

कोर्ट के फैसले के बाद निठारी पीड़ितों के आंसुओं में खुशी और गम झलका

दिल्ली। इंसानियत को शर्मसार करने वाली निठारी की घटना को बीते एक दशक से अधिक का समय बीत गया, लेकिन हादसे के पीड़ितों के घाव अब भी ताजा ही जान पड़ते हैं। सोमवार को निठारी कांड के एक मामले में डी-5 कोठी के मालिक मनिंदर सिंह पंधेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को गाजियाबाद स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने दोनों को सजा-ए-मौत मुकर्रर की है। कोर्ट के इस फैसले के बाद पीड़ितों के आंसू अपनो को याद करके फिर बह निकले। इन आंसुओं में थोड़ी खुशी और थोड़ा गम शामिल है।

निठारी के खूनी कोठी डी-5 में अपनी 8 साल की बेटी रचना को खोने वाले उसके पिता का कहना है, कि कोर्ट के फैसले से उन्हें बहुत खुशी मिली है। उन्होंने मौजूदा सरकार में सीबीआई के कामकाज पर संतोष जताया। कहा कि इस हादसे के दोषी मोनिंदर सिंह पंधेर को पहले फांसी होनी चाहिए। हादसे वाले दिन को याद कर रचना के पिता बताते हैं कि वह डीपीएस में पढ़ने जा रही थी। कोली ने टॉफी का लालच देकर बुलाया और फिर उसकी बेटी कभी घर लौटकर नहीं आई।

हमेशा के लिए गुम हो जाने वाली 10 साल ज्योति की मां के आंसू अब भी नहीं थम रहे हैं। वह कहती हैं कि कोर्ट के फैसले से उन्हें खुशी तो मिली है, लेकिन असली खुशी उस दिन मिलेगी, जब पंधेर और कोली को फांसी पर लटकाया जाएगा। उन्होंने संदेह जताया कि उसके पास बहुत पैसा है और पैसे के बल पर वह छूट जाएगा। वह बताती हैं कि बेटी को दुपट्टे पर पीको कराने के लिए भेजा था। जब काफी समय तक नहीं लौटी, तब उसकी तलाश शुरू की। लेकिन, वह नहीं मिली। बेटी के बारे में मोनिन्दर और कोली से भी पूछा, लेकिन उसने भी कोई जानकारी होने से इंकार कर दिया। आखिर, जेल में दोनों ने ही कहा, हमने ही तुम्हारी बेटी को मार डाला।

 

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