कोरोना की पहली वैक्सीन मिलने की उम्मीद बढ़ी..
देश-विदेश : कोरोना वैक्सीन के असर को लेकर जो डेटा सामने आया है, उस पर खास नजर रखी जा रही है। अब तक बने टीकों में से कोई असरदार है या नहीं, इसके शुरुआती संकेत मिलने लगे हैं। वैक्सीन के प्रोसेस और साइंटिफिक रिसर्च पर नजर रखने वाली एक कंपनी के अनुसार, अमेरिकन फार्मा कंपनी फाइजर (Pfizer) का डेटा यही बताता है। Airfinity के अनुसार, फाइजर की वैक्सीन उन आधा दर्जन कोविड टीकों में से एक है जो बड़े पैमाने पर फेज-3 ट्रायल से गुजर रहे हैं।
फाइजर के चीफ एक्जीक्यूटिव अल्बर्ट बूर्ला ने हाल में कई बार कहा कि कंपनी को उम्मीद है कि ‘अंतिम’ प्रभावी (efficacy) डेटा अक्टूबर तक आ जाएगा। 26 सितंबर को अमेरिका के 60 वैज्ञानिकों और हेल्थ एक्सपर्ट्स ने फाइजर को लिखा था कि जब तक वैक्सीन सभी सुरक्षा मानकों पर खरी नहीं उतरती, उसे रेगुलेटरी क्लियरेंस के लिए न भेजा जाए।
फाइजर के अलावा दुनिया में कई वैक्सीन ऐसी हैं जिनके डेवलपमेंट पर सबकी नजरें हैं। इनमें Oxford-AstraZeneca की एडेनोवायरस वेक्टर सिंगल डोज वैक्सीन, मॉडर्ना की mRNA डबल डोज वैक्सीन, Sinovac की इनऐक्टिवेटेड डबल डोज वैक्सीन शामिल हैं।
खासतौर से अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव को देखते हुए। गौरतलब है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बार-बार कह चुके हैं कि 3 नवंबर को मतदान से पहले एक वैक्सीन अप्रूव हो जाएगी। फाइजर के डेटा को इसलिए भी चैलेंज किया जा रहा है कि उसने ट्रायल में बेहद कम इन्फेक्शंस की सीमा रखी। एनालिस्ट के अनुसार, फाइजर ने 32 इवेंट्स की जो चॉइस है, अब तक की सबसे कम है और उसकी हर तरफ आलोचना हुई है। कंपनी के अनुसार, एक फेज-3 ट्रायल में चार अंतरिम एनालिसिस इससे पहले किसी वैक्सीन ट्रायल में नहीं हुए हैं।
कंपनी अपनी वैक्सीन के पहले अंतरिम एनालिसिस के लिए पर्याप्त कोविड-19 मामले जुटा चुकी है। अंतरिम एनालिसिस तब होता है जब ट्रायल में इन्फेक्शंस की तय सीमा पार कर ली जाती है। फाइजर के मामले में पहले एनालिसिस के लिए ट्रायल में 32 इन्फेक्शंस की सीमा थी। अगर इन इन्फेक्शंस में से 76.9% (32 में से 26) ऐसे होते हैं जिन्हें प्लेसीबो दिया गया था, तो वैक्सीन को बीमारी के खिलाफ असरदार मान लिया जाएगा। Airfinity का अनुमान है कि फाइजर ने 27 सितंबर को जरूरी 32 केसेज की लिमिट क्रॉस कर ली है।