उत्तराखंड

कोरोना से सबक नहीं सीखा तो बेहद घातक हो सकती है तीसरी लहर..

कोरोना से सबक नहीं सीखा तो बेहद घातक हो सकती है तीसरी लहर..

उत्तराखंड: प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर से यदि सबक नहीं सीखा गया तो तीसरी लहर बेहद घातक साबित हो सकती है। कोरोनाकाल के आंकड़े बता रहे हैं कि पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर ज्यादा जानलेवा रही और यदि सरकारी तंत्र और राज्य के नागरिक नहीं संभले तो तीसरी लहर ज्यादा पर कहर बरपा सकती है। कहा जा रहा है कि तीसरी लहर में यदि राज्य में बच्चों की कुल आबादी के पांच फीसदी भी संक्रमित हुए तो अस्पतालों में ऑक्सीजन बेड पूरे नहीं हो पाएंगे।

 

कोरोनाकाल के 66 हफ्ते पूरे हो चुके हैं। एसडीएफ के संस्थापक अनूप नौटियाल के अनुसार 64 हफ्तों का विश्लेषण करने पर यह तथ्य सामने आया कि पहली लहर चार और दूसरी लहर नौ बार ऊपर चढ़ी तो उसी रफ्तार से नीचे भी आई। उतार-चढ़ाव के ये आंकड़े तीसरी लहर से निपटने की तैयारी में मददगार हो सकते हैं।

यूं चढ़ी दूसरी लहर..

सप्ताह      तारीख           संक्रमितों की संख्या
56 वां     4-10 अप्रैल         5765
57वां     11-17 अप्रैल        13924
58वां     18-24 अप्रैल        26030
59वां      25-01 मई          38581
60वां      02 मई-08 मई     52369

यूं उतरने लगी दूसरी लहर

61वां    09 से 15 मई          44856
62वां    16-22 मई              27230
63वां     23-29 मई             16643
64वां     30 मई- पांच जून      6466

10 फीसदी भी संक्रमित हुए तो चरमरा जाएंगे इंतजाम..

राज्य सरकार बेशक तीसरी लहर की पूरी तैयारी की बात कर रही है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि 18 वर्ष की आयु से कम बच्चों की कुल आबादी के 10 फीसदी भी संक्रमित हुए तो ऑक्सीजन और आईसीयू बेड कम पड़ जाएंगे। इस मामले में उच्च न्यायालय में राज्य आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान ने जनहित याचिका भी दायर की है। जुगरान के अनुसार 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में 18 साल से कम आयु के करीब 38 लाख बच्चे हैं।

 

तीसरी लहर में यदि इनमें से 10 प्रतिशत बच्चे संक्रमित होते हैं तो इनमें से पांच प्रतिशत के लिए 19000 ऑक्सीजन बेड की जरूरत होगी। लेकिन सरकारी आंकड़ों के अनुसार अस्पतालों में अभी 6059 ऑक्सीजन बेड हैं। इसी तरह कुल 10 फीसदी आबादी के एक प्रतिशत 3800 बच्चों को आईसीयू बेड की जरूरत पड़ी तो सरकार के स्तर पर वो भी पूरे नहीं हो पाएंगे क्योंकि अभी तक सरकार 1429 आईसीयू बेड का इंतजाम कर पाई है।

 

सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल का कहना हैं कि अस्पतालों में सीमित इंतजामों को देखते हुए तीसरी लहर से बचाव के तीन रामबाण है। पहला सामाजिक दूरी व मास्क पहनने की आदत को कड़ाई से लागू कराना होगा। दूसरा, ज्यादा से ज्यादा टीकाकरण और तीसरा ज्यादा से ज्यादा कोरोना की जांच करानी होगी।

 

साथ ही तीसरी लहर की तैयारियों के लिए राज्य सरकार के पास काफी समय है।सरकार को समय-समय पर अपनी तैयारियों को परखने के लिए मॉक ड्रिल करनी चाहिए। यह पूर्वाभ्यास उन कमियों को दूर करने में मदद कर सकता है जो तीसरी लहर में संकट बढ़ा सकती हैं। हरिद्वार महाकुंभ में सरकार ने मॉक ड्रिल करने में देरी कर दी थी।

 

तीसरी लहर को लेकर सरकार पूरी तरह से चौकन्नी है। सरकार इसकी लगातार तैयारी कर रही है। मुख्यमंत्री तैयारियों की लगातार समीक्षा और मॉनिटरिंग कर रहे हैं। पिछले कुछ महीनों में अस्पतालों में संसाधनों का काफी विस्तार हुआ है। ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में ऑक्सीजन प्लांट लगाए जा रहे हैं।

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