खजूर के तने का झाड़ू बनाकर दूर की बेरोजगारी..
उत्तराखंड: कोरोना महामारी ने लोगों को दो वक्त की रोटी कमाने के नए आयाम पैदा किए हैं। सरकार प्रवासियों के लिए बेहतर काम भी जुटा रही है। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत उन्हें स्थानीय स्तर पर काम करने के लिए बैंकों से ऋण भी मुहैया कराया जा रहा है, लेकिन कुछ प्रवासी बिना ऋण लिए भी अपनी आजीविका तरास रहे हैं, जिनमें एक हैं अनर्सा गांव के बसंत राम। मुंबई के एक होटल में काम करने वाले कपकोट तहसील के अनर्सा गांव निवासी बसंत राम लॉकडाउन के बाद घर आ गए।
उनके सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया। परिवार में बच्चों के कपड़े, जरूरी सामान आदि के लिए हर रोज डिमांड बढ़ने लगी। बसंत ने हिम्मत नहीं हारी और मेहनत शुरू कर दी। प्रत्येक दिन सुबह पांच बजे उठकर वह जंगल गए और वहां खजूर स्थानीय भाषा में थाकव के पत्ते काट कर उसे घर लाते और सूखाते। उसके बाद उसके झाड़ू बनाने लगे। लगभग तीन माह की मेहनत रंग लाई और अब वह परिवार की गुजर बसर करने लगे हैं।
खजूर के तने का झाड़ू बनाकर वह कपकोट, बागेश्वर, कांडा, गरुड़ आदि बाजार में बेचने लगे हैं। एक झाड़ू की कीमत 30 रुपये हैं। जबकि बजार में मिलने वाले झाडू 80 से लेकर 100 रुपये में बिक रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्रतिदिन तीन सौ रुपये तक के झाड़ू बेच रहे हैं। भाजपा खरेही मंडल के अध्यक्ष रवि करायत प्रवासी बेहतर काम कर रहे हैं। स्थानीय लोगों को उनके उत्पाद खरीदने चाहिए। ताकि उनके हाथ मजबूत हो सकें। उन्होंने कहा कि मन में कुछ कर गुजरने वालों के हर काम संभव है। उन्होंने जिला प्रशासन से ऐसे लोगों को हरसंभव मदद करने की मांग की है।