उत्तराखंड

टूटे-फूटे छप्पर में रहने को मजबूर हैं अनाथ बच्चे..

दादी के बूढ़े कंधों पर है परिवार का भार..

जन अधिकार मंच बनाएगा एक और आशियाना, मदद के लिए आगे आई उपहार समिति..

देहरादून के सामाजिक कार्यकर्ता जयदीप सकलानी बनाएंगे एक कमरा और शौचालय..

रुद्रप्रयाग: जनपद रुद्रप्रयाग के कुनियाली गांव के अनाथ बच्चों के ऊपर दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा है। बच्चों के पास सिर छुपाने के लिए छत तक नहीं है। बच्चे टूटे-फूटे टीन के छप्पर के अंदर अपनी दादी के साथ रहने को मजबूर हैं। इस परिवार की मदद के लिए जन अधिकार मंच आगे आया है। मंच ने बेसहारा परिवार के लिए घर बनाने का निर्णय लिया है।

आठ वर्ष पूर्व 75 वर्षीय चैता देवी के इकलौते बेटे और बहू की आकस्मिक मृत्यु हो गई थी, तब से परिवार पूरी तरह टूट गया है। पोते-पोतियों का सारा भार दादी के ऊपर है। दादी के बूढ़े कंधों पर अपने 16 वर्षीय पोते परमजीत, 14 वर्षीय पोती दिव्या और 12 वर्षीय शालिनी की जिम्मेदारी है।

 

किसी तरह चैता देवी ने पेंशन के सहारे अपने पोते और पोतियों का भरण-पोषण किया। वृद्ध महिला के सामने सबसे बड़ी समस्या सिर छुपाने की है। स्थिति यह है कि आशियाने के नाम पर बनाई गई टीन की छप्पर बारिश होने पर टपकती है। किसी तरह वृद्ध महिला और अनाथ बच्चे इसी के अंदर दिन गुजारने को मजबूर हैं। इस परिवार के पास बिजली का कनेक्शन तो दूर शौचालय और रसोई गैस भी नहीं है। आर्थिक तंगी के कारण बच्चों को पढ़ाना भी मुश्किल हो रहा है। इस अभागे परिवार को कई बार भरपेट खाना भी नहीं मिल पाता है।

चैता देवी के ही एक अन्य बेटे की भी आकस्मिक मौत हो गई थी। उनकी बहू किसी तरह अपने परिवार का लालन-पालन कर रही है। कमोबेश यही स्थिति इस परिवार की भी बनी है। उनके पास भी घर नहीं है। उनका एक 13 वर्षीय लड़का है और 11 वर्ष की लड़की है।

 

जन अधिकार मंच के अध्यक्ष मोहित डिमरी ने कुनियाली गांव पहुँचकर इस परिवार से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि सामाजिक संगठनों और आम लोगों से सहयोग लेकर इन दोनों परिवारों को घर बनाकर दिया जाएगा। बिजली का कनेक्शन और रसोई गैस भी दी जाएगी। इसके साथ ही बच्चों की पढ़ाई का भी पूरा खर्चा उठाया जाएगा। उन्होंने कहा कि देहरादून निवासी सामाजिक कार्यकर्ता जयदीप सकलानी इस परिवार के लिए एक कमरा और शौचालय बनाएंगे। उपहार समिति के सचिव विपिन सेमवाल ने मकान बनाने के लिए पचास बैग सीमेंट देने की बात कही है। अन्य लोग भी मदद के लिए आगे आ रहे हैं।

 

मोहित डिमरी ने कहा कि सरकार जन कल्याण के नाम पर तमाम योजनाएं संचालित कर रही है, लेकिन इसका लाभ जरुरतमंदों को नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि गांव का अंतिम आदमी आज भी विकास से कोसों दूर है। ऐसे लोगों को मुख्यधारा में लाने के लिए हम सभी को सामूहिक प्रयास करने होंगे। साथ ही उन्होंने आम लोगों से अनुरोध किया है कि इस परिवार की मदद के लिए जरूर आगे आएं।

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