उत्तराखंड

देवस्थानम बोर्ड पर पूर्व CM त्रिवेंद्र सिंह रावत का बड़ा बयान, पढ़िए पूरी खबर..

देवस्थानम बोर्ड पर पूर्व CM त्रिवेंद्र सिंह रावत का बड़ा बयान, पढ़िए पूरी खबर..

उत्तराखंड:  प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटन स्थलों और तीर्थों का दर्जा रखने वाले चारधामों समेत प्रमुख मंदिरों के प्रबंधन के लिहाज़ से बनाए गए देवस्थानम बोर्ड के मामले में नया मोड़ आया हैं। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा है कि देवस्थानम एक्ट को वापस लेने की चर्चाओं के बीच यह अहम है कि इस एक्ट को वापस लेने की मांग जनता की नहीं, बल्कि कुछ लोगों की हैं। पूर्व सीएम ने यह भी कहा कि अगर इस एक्ट को वापस लिया गया, तो देश भर में एक संदेश जाएगा और इसके साथ ही अन्य धार्मिक स्थानों से भी इस तरह की मांग उठने लगेगी।

 

आपको बता दे कि देवस्थानम बोर्ड को लेकर पुरोहितों की एक इकाई पिछले कुछ दिनों से प्रदर्शन करते हुए यह मांग रख रही है कि उत्तराखंड सरकार इस बोर्ड को भंग करे। इसी सिलसिले में हाल में अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के अध्यक्ष ने राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को चिट्ठी लिखकर मांग दोहराई थी। इस मामले में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत इसलिए केंद्र में हैं क्योंकि देवस्थानम बोर्ड बनाने का फैसला उन्हीं के कार्यकाल में लिया गया था। अब इस पर अपना रुख रावत ने साफ कर दिया हैं।

 

बोर्ड कानूनी ढंग से बना है..

त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बड़ा बयान देते हुए कह, ‘विधानसभा में लम्बी चर्चा के बाद देवस्थानम एक्ट को पारित किया गया था। यह कोई ऐसा कानून नहीं है, जो रातों रात बना दिया गया हो। रावत के अनुसार इस मुद्दे पर विचार विमर्श कर लिया गया था। इस बारे में रावत ने अंदेशा जताते हुए यह भी कहा कि इस एक्ट को वापस लिया गया तो देश के कई कोनों से इस तरह की मांग उठेगी। शिरडी, सोमनाथ, वैष्णो देवी, पद्मनाभ मंदिरों जैसे तीर्थों से भी इसी आशय की मांग उठने से समस्या गहरा जाएगी। बता दे कि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस बोर्ड का गठन किया था ताकि गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ यानी चारधाम समेत 51 मंदिरों का मैनेजमेंट बेहतर ढंग से हो। हालांकि पिछले कुछ समय में राज्य के धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज के बयान इस बोर्ड के पक्ष में थे, जिनसे तीर्थ पुरोहित नाराज़ हुए थे।

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