विद्यालय में तैनात अध्यापक को भेजा अन्य विद्यालय
शिक्षक न होने से छात्रा एवं अभिभावक परेशान
जिलाधिकारी के अरमानों पर शिक्षा महकमा फेर रहा पानी
डीएम ने मामले में दिलाया जांच का भरोसा
रुद्रप्रयाग। जिले में शिक्षा व्यवस्था को बिगाड़ने में स्वयं अधिकारी ही जिम्मेदार है। इसका जीता जागता उदाहरण तब सामने आया जब राजकीय प्राथमिक विद्यालय खतेणा में दो दिनों तक अध्यापक नहीं पहुंचा। पता करने पर जानकारी मिली कि विद्यालय में तैनात अध्यापक को व्यवस्था के तौर पर राप्रावि पीड़ा भेजा गया है, जबकि राप्रावि खतेणा में अध्यापक की तैनाती करना शिक्षा महकमा भूल गया। एकल अध्यापक के भरोसे चल रहे विद्यालय में अध्यापक न होने से छात्रों का भविष्य अंधकारमय बना है।
सरकारी विद्यालयों में शिक्षा के हालत किस कदर खराब हैं, यह किसी से छिपा नहीं है। एक ओर जहां जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल बेसिक शिक्षा में सुधार लाने के प्रयास करने में लगे हैं, वहीं शिक्षा महकमा उनके अरमानों पर पानी फेर रहा है। ऐसे में छात्रों का भविष्य भी चैपट होता जा रहा है। विद्यालयों की स्थिति यह है कि एकल अध्यापक के भरोसो एक से पांच कक्षाओं को सौंपा गया है, जो पूरी कक्षा को एक साथ पढ़ा रहा है।
यहां पर ये समझने वाली बात भी है कि एक अध्यापक कैसे सभी कक्षाओं को पढ़ा सकता है। राजकीय प्राथमिक विद्यालय खतेणा में तैनात शिक्षक को पांच अगस्त से व्यवस्था के तौर पर राप्रावि पीड़ा भेजा गया है, जिस कारण विद्यालय अध्यापकविहीन हो गया है। विद्यालय की छात्र संख्या 19 के करीब है, जो पठन-पाठन के अभाव में परेशान हैं। अवकाश होने के कारण राप्रावि खतेणा को आठ अगस्त को खुलना था, लेकिन कोई भी अध्यापक विद्यालय नहीं पहुंचा।
ऐसे में ग्रामीणों ने स्कूल को बन्द कर दिया। फिर नौ अगस्त को ग्रामीण अध्यापक का इंतकार करते रहे, मगर फिर भी कोई भी अध्यापक स्कूल नहीं पहुंचा। ग्रामीणों ने स्वयं ही स्कूल को खोला और बच्चों ने स्वयं ही अपना पठन-पाठन शुरू किया। आक्रोशित ग्रामीणों ने इसकी शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी बेसिक से भी की, मगर शिक्षा महकमे के अधिकारी शिक्षक की व्यवस्था करने का भरोसा दिलाते रहे। यहां तक कि बेसिक अधिकारी ने जनता से बात करने में खासी दिलचस्पी भी नहीं दिखाई। पूरा दिन बीत गया, मगर स्कूल में कोई भी अध्यापक नहीं पहुंचा। जिसके बाद ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से शिकायत की और डीएम ने मामले में जांच का भरोसा दिलाया।
ग्रामीण गम्भीर सिंह बिष्ट, अशोक सगवाण, दर्शन बिष्ट, दयाल सिंह रावत, राजी देवी, मेघा देवी, अंजना देवी, महिपाल नेगी, रीना देवी, चंदा देवी ने कहा कि शिक्षा महकमे के कारण छात्रों का भविष्य बर्बाद होता जा रहा है। एक ओर एकल अध्यापक के भरोसा विद्यालय को छोड़ा गया है, ऊपर से अध्यापक को व्यवस्था के तौर पर अन्यत्र विद्यालय में भेजा जा रहा है। ऐसे में छात्रों का पठन-पाठन प्रभावित होने के कारण छात्र और अभिभावक परेशान हैं। उन्होंने कहा कि जिले में शिक्षा व्यवस्था की दयनीय स्थिति पहले से बनी हुई है।
अधिकारी हैं कि जनता के प्रति अपनी जवाबदेही को नहीं समझ रहे हैं। यहां तक कि फोन करने पर भी सही जानकारी नहीं दी जा रही है। कहा कि जल्द ही विद्यालय में अध्यापक की तैनाती नहीं की गई तो ग्रामीण आंदोलन के लिए विवश हो जायेंगे।
वहीं मामले में जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने कहा कि खण्ड शिक्षा अधिकारी की जिम्मेदारी होती है कि वे विद्यालयों में शिक्षकों की तैनाती करवाएं। राप्रावि खतेणा में शिक्षक न होने के कारण छात्रों का दो दिनों तक पठन-पाठन नहीं हो पाया है, इसके लिए साफ तौर पर शिक्षा महकमा दोषी है। मामले में जांच की जायेगी और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई अमल में लाई जायेगी।