उत्तराखंड

केदारनाथ में पितरों को तर्पण दे सकेंगे श्रद्धालु, आस्था पथ पर बनाए गए चार पितृ घाट..

केदारनाथ में पितरों को तर्पण दे सकेंगे श्रद्धालु, आस्था पथ पर बनाए गए चार पितृ घाट..

केदारनाथ में पितरों को तर्पण दे सकेंगे श्रद्धालु, आस्था पथ पर बनाए गए चार पितृ घाट..

उत्तराखंड : यात्राकाल में केदारनाथ में बाबा के भक्त अपने पितरों को तर्पण भी दे सकेंगे। सरस्वती नदी किनारे बने आस्था पथ पर चार पितृ घाट बनाए गए हैं। वहां पर पूजा-अर्चना के लिए इंतजाम किए गए हैं। साथ ही घाट के पास व्यू प्वाइंट भी हैं, जिनमें श्रद्धालु योग-ध्यान कर सकेंगे।

आपदा से पहले केदारनाथ में मंदिर के दो से तीन सौ मीटर क्षेत्र में हंस, हवन, रेतस, उदक और अमृत कुंड मौजूद थे। आपदा में धाम के ये सभी प्राचीन कुंड मलबे में समा गए थे। पुनर्निर्माण कार्यों के शुरू होने के बाद कार्यदायी संस्था नेहरू पर्वतारोहण संस्थान ने मंदिर मार्ग पर दो सौ मीटर की दूरी मलबे में दबे उदक कुंड को खोज निकाला। मंदिर के पीछे अमृत कुंड सुरक्षित रहा लेकिन रेतस, हंस और हवन कुंड का अब भी पता नहीं चल पाया है।

 

दूसरी तरफ पुनर्निर्माण कार्यों के तहत केदारनाथ में सरस्वती नदी किनारे निर्मित आधा किमी लंबे आस्था पथ के मध्य में पांच व्यू प्वाइंट बनाए गए हैं। इनके बीच में चार पितृ घाट बनाए गए हैं। इन घाटों पर आस्था पथ से नदी तक पांच-पांच सीढ़ियां बनाई गई हैं। कार्यदायी संस्था वुड स्टोन कंस्ट्रक्शन कंपनी के टीम प्रभारी मनोज सेमवाल ने बताया कि 28 करोड़ की लागत से आधा किमी लंबे आस्था पथ पर पितृ घाट बनकर तैयार हो चुके हैं।

गंगोत्री और यमुनोत्री धाम सीसीटीवी से जुड़े मास्टर प्लान से विकसित हो रहे केदारनाथ धाम की तर्ज पर जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री व यमुनोत्री धाम भी सीसीटीवी से जुड़ गए हैं। दोनों धामों के सीसीटीवी कैमरों से जुड़ने से आपदा के दौरान धामों की सुरक्षा के साथ पुनर्निर्माण कार्यों की निगरानी में मदद मिलेगी।

 

डीएम मयूर दीक्षित ने बताया कि आपदा की दृष्टि से संवेदनशील जिले में दोनों धामों की सुरक्षा के मद्देनजर 13 सीसीटीवी लगाए गए हैं। इससे आपदा के दौरान गंगा एवं यमुना नदी के जलस्तर पर नजर रखने में मदद मिलेगी।

साथ ही दोनों धामों में किए जा रहे पुनर्निर्माण कार्यों की भी निगरानी की जा सकेगी। यमुनोत्री धाम में 4 और गंगोत्री धाम में 9 सीसीटीवी लगाए गए हैं। अलग-अलग स्थानों पर लगाए गए कैमरों से पल-पल की सजीव फुटेज मिलनी शुरू हो गई है। फुटेज की नियमित निगरानी जिला कार्यालय व आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से की जा रही है।

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