उत्तराखंड

परियोजना प्रभावितों की मांग नहीं मानी तो सात दिसम्बर को जनपद होगा बंद…

परियोजना प्रभावितों की मांग नहीं मानी तो सात दिसम्बर को जनपद होगा बंद

परियोजना प्रभावितों को मुआवजा और पुनर्वासित करने की मांग

संघर्ष समिति ने भेजा प्रधानमंत्री को ज्ञापन

रुद्रप्रयाग। चारधाम परियोजना प्रभावित संघर्ष समिति ने प्रभावित व्यवसायियों और भवन स्वामियों को मुआवजा देने एवं पुनर्वासित करने की मांग को लेकर जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री को पत्र भेजा। संघर्ष समिति ने चेतावनी देते हुए कहा कि एक सप्ताह के भीतर सरकार ने मांगे नहीं मानी तो सात दिसम्बर को जिला बंद कर जिला मुख्यालय में प्रदर्शन किया जायेगा।

संघर्ष समिति ने प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में कहा कि चारधाम परियोजना से जनपद रुद्रप्रयाग के खांकरा से कमेड़ा और रुद्रप्रयाग से गौरीकुंड तक दोनों राष्ट्रीय राजमार्ग के मुख्य बाजारों में भवन एवं दुकानें व लघु उद्योग तोड़े जा रहे हैं। अधिकारियों का कथन है कि सरकारी भूमि पर बने मकानों, दुकानों, खोखों का मुआवजा नहीं मिलेगा। जो मकान तोड़े जा रहे हैं, उनमें कई पीढ़ियों से संचालित व्यवसायों के उजड़ जाने से उनके संचालक और उनमें कार्य करने वाले जिले के लगभग 35 सौ परिवारों के सामने रोजगार का गंभीर संकट पैदा होने जा रहा है।

स्वाभाविक है कि इतने परिवारों को भी अन्यत्र पलायन करना पड़ेगा। संघर्ष समिति के अध्यक्ष मोहित डिमरी और महामंत्री अशोक चैधरी ने कहा कि चारधाम परियोजना से प्रभावित सभी व्यवसायियों एवं भवन स्वामियों को न्यूनतम दस लाख रुपये मुआवजा दिया जाय और उनकी सम्पत्ति का मूल्यांकन कर उसका चार गुना अधिक मुआवजा दिया जाय। व्यवसायियों के पुनर्वासन हेतु मार्केटिंग काॅम्पलेक्स बनाकर उनके व्यवसाय को पुनस्र्थापित करने की योजना इस परियोजना में सम्मिलित की जाय। उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रभावितों की मांगों का निराकरण नहीं किया तो प्रभावित सड़कों पर उतरकर अपने हक की लड़ाई लड़ेंगे। आंदोलन के पहले चरण में जिला बंद कर सरकार के खिलाफ आंदोलन किया जायेगा।

उद्योग व्यपार मंडल के प्रदेश महामंत्री प्रदीप बगवाड़ी, व्यापार मंडल के जिलाध्यक्ष देशराज डुडेजा, रुद्रप्रयाग व्यापार संघ अध्यक्ष कांता प्रसाद नौटियाल, तिलवाड़ा व्यापार संघ अध्यक्ष सुरेन्द्र दत्त सकलानी, सुमाड़ी व्यापार संघ अध्यक्ष विक्रम सिंह सजवाण ने कहा कि कहा कि पहाड़ों में उद्योग नहीं हैं और वनाधारित उद्योग स्थापित करने पर प्रतिबंध है। रोजगार के स्थानीय साधन और शिक्षा, स्वास्थ्य की वांछित व्यवस्था न होने अलावा जीवन यापन की समुचित व्यवस्थायें न होने के कारण गांवों से मैदानी क्षेत्रों के साथ ही सुविधाजनक स्थानीय बाजारों-कस्बों में भी लोग पलायन करने को विवश हैं।

व्यापार मंडल के जिला महामंत्री महावीर भट्ट, संघर्ष समिति के कोषाध्यक्ष विपिन वर्मा, सदस्य रमेश पहाड़ी, केपी ढौंडियाल, कृष्णानंद डिमरी, डाॅ अमित रतूड़ी, अजय भंडारी, व्यापार संघ तिलवाड़ा के पूर्व अध्यक्ष मान सिंह जगवाण, गोविंद सिंह जगवाण, मगनानंद भट्ट, तरूण पंवार ने कहा कि भूमि की सीमितता को देखते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़े लोगों की निजी भूमि पर भवन निर्माण के लिए राजमार्ग प्राधिकरण से अनापत्ति प्रमाण-पत्र की बाध्यता समाप्त की जाय। व्यापार संघ खांकरा के अध्यक्ष बुद्धिबल्लभ ममगाई ने कहा कि सिरोबगड़ भूस्खलन के लिये बनाये जा रहे वैकल्पिक मार्ग में अलकनंदा नदी पर प्रस्तावित तीसरा पुल न बनाकर खांकरा बाजार को वीरान होने से बचाया जाए।

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