उत्तराखंड

पहाड़ पुत्र नैन सिंह रावत की गौरवगाथा देखेगी दुनिया, टाइगर श्रॉफ करेंगे फिल्म में काम..

पहाड़ पुत्र

पहाड़ पुत्र नैन सिंह रावत की गौरवगाथा देखेगी दुनिया, टाइगर श्रॉफ करेंगे फिल्म में काम..

उत्तराखंड : हिमालयी इलाकों की खोज करने वाले पहले भारतीय नैन सिंह रावत 19वीं शताब्दी के उन पण्डितों में से थे, जिन्होंने अंग्रेज़ों के लिये हिमालय के क्षेत्रों की खोजबीन की। नैन सिंह रावत कुमाऊँ घाटी के रहने वाले थे। उन्होंने नेपाल से होते हुए तिब्बत तक के व्यापारिक मार्ग का मानचित्रण किया। उन्होंने ही सबसे पहले ल्हासा की स्थिति तथा ऊँचाई ज्ञात की और तिब्बत से बहने वाली मुख्य नदी त्सांगपो के बहुत बड़े भाग का मानचित्रण भी किया। नैन सिंह रावत को एक एक्सप्लोरर के रूप में ही याद नहीं किया जाता, बल्कि हिंदी में आधुनिक विज्ञान में “अक्षांश दर्पण” नाम की एक किताब लिखने वाले वह पहले भारतीय थे।

नैन सिंह रावत की कहानी जल्द ही बड़े पर्दे पर दिखाई देगी। तिब्बत को अपने कदमों से नापने वाले नैन सिंह रावत की बायोपिक में अभिनेता टाइगर श्राफ काम करेंगे। ये अभिनेता टाइगर श्राप का बायोपिक डेब्यू होगा। निर्देशक अहमद खान हिमालय पुत्र पंडित नैन सिंह रावत पर फिल्म बनाने जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि टाइगर श्राफ को फिल्म की कहानी पसंद आई है। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने उन्हें नैन सिंह रावत के बारे में बताया था। उन्हें कहानी बेहद दिलचस्प लगी। निर्देशक अहमद खान फिलहाल नैन सिंह रावत के परिवार से फिल्म के राइट्स लेने की कोशिश कर रहे हैं। 16 नवंबर से फिल्म के लिए लोकेशन की तलाश शुरू की जाएगी। उम्मीद है फिल्म का ज्यादातर हिस्सा उत्तराखंड में शूट होगा।

 

 

नैन सिंह रावत कुमाऊं क्षेत्र के रहने वाले थे। उनका जन्म 21 अक्टूबर सन 1830 में कुमाऊं के पिथौरागढ़ ज़िले के मिलम नामक गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हासिल की थी, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वह जल्द ही पिता के साथ भारत और तिब्बत के बीच चलने वाले पारंपरिक व्यापार से जुड़ गए। अपने पिता के साथ उन्हें तिब्बत के कई स्थानों पर जाने और उन्हें समझने का मौका मिला। उन्होंने तिब्बती भाषा सीखी, जिससे उन्हें काफी मदद मिली। हिन्दी और तिब्बती के अलावा उन्हें फ़ारसी और अंग्रेज़ी का भी अच्छा ज्ञान था। महान अन्वेषक, सर्वेक्षक और मानचित्रकार नैन सिंह रावत ने अपनी यात्राओं की डायरियां भी तैयार की थीं।

नैन सिंह रावत घूमने के शौकीन थे। ब्रिटिश काल में अंग्रेजों ने उन्हें गुप्त रूप से तिब्बत और रूस के दक्षिणी भाग के सर्वेक्षण का काम दिया था। गुप्त रूप से होने वाले सर्वे के लिए उन्होंने तिब्बती लामा का वेश धारण किया। वो अपनी गणनाओं को कविताओं में याद रखते थे। उनकी इस खोज पर 139 साल बाद डाक विभाग ने 27 जून 2004 को डाक टिकट जारी किया था। वो ब्रिटेन के लिए हिमालय के क्षेत्रों का अन्वेषण करने वाले शुरुआती भारतीयों में से थे। देश के इस महान सर्वेयर की कहानी अब फिल्म के माध्यम से पूरी दुनिया देखेगी।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

To Top