आज तक वैज्ञानिक भी नहीं जान सके भीमकुण्ड के पानी का रहस्य..
देश-विदेश: भारत हमेशा से ही रहस्यों का देश रहा हैं। यहां पर पौराणिक काल के ऐसे तमाम रहस्य हैं। वैज्ञानिक जिनका सच आज भी खोज रहे हैं। आज हम बात करेंगे भीमकुण्ड की, मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के बजना गांव के पास स्थित भीमकुण्ड जल का प्राकृतिक स्रोत हैं। ये पानी साफ और पीने योग्य हैं। लेकिन आज तक बड़े से बड़े वैज्ञानिक भी ये नहीं जान पाए हैं कि आखिर इस कुंड में पानी आता कहां से हैं।
हैरानी की बात यह है कि इस क्षेत्र में दूर-दूर तक पानी का कोई स्रोत भी नहीं हैं। यदि सूखा पड़ जाए तो भी इस कुंड में पानी कम नहीं होता। इस कुंड के बारे में ये भी कहा जाता है कि जब कोई प्राकृतिक आपदा आने वाली होती है तो इस कुंड में जल का स्तर खुद ही बढ़ जाता है और लोग इस संकेत को समझकर पहले से ही सतर्क हो जाते हैं।
कभी गंदा नहीं होता ये पानी..
स्थानीय लोगों का यहां भी कहना है कि कुंड का पानी कितना भी उपयोग में ले लिया जाए लेकिन इसका स्तर सामान्य ही रहता हैं। आमतौर पर ठहरा हुआ पानी गंदा हो जाता है, लेकिन भीमकुण्ड का पानी इतना साफ है कि लोग इसको पीने के लिए प्रयोग में लेते हैं। कहा जाता है कि वर्ष 2004 में जब सुनामी आई थी, तब इस कुंड में पानी का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ गया था और कुंड में पानी की हलचल बहुत तेज थी। जिससे ये तो पता लग गया था कि अब कोई आपदा आने वाली है, लेकिन कहां आएगी इसका पता नहीं चल पाया था।
गोताखोरों ने भी भीमकुण्ड की गहराई जानने के लिए कई बार कोशिश की, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पाई क्योंकि इसके तल तक कोई भी नहीं पहुंच सका। इस कुंड का जिक्र पुराणों में भी मिलता हैं। इस कुंड की मान्यता यह भी है कि अज्ञात वास के समय एक बार जब भीम को असहनीय प्यास लगी और कहीं भी पानी न मिलने के कारण उन्होंने अपनी गदा से एक गड्ढा खोदा जहां से पानी निकल आया और इस कुंड का निर्माण हुआ। इसीलिए ये कुंड भीमकुण्ड के नाम से जाना जाता हैं। रहस्यमय होने के कारण लोग इसे तीर्थ की तरह मानते हैं और इसके दर्शन करने भी आते हैं।