कोरोना के दौरान अस्थमा के मरीज बरतें खास एहतियात..
उत्तराखंड: कोरोना की दूसरी लहर के बीच आज विश्व अस्थमा दिवस दस्तक दे रहा है। अस्थमा, स्वास की बीमारी, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), वायरल बुखार व पोस्ट वैक्सीनेशन बुखार और कोविड इंफेक्शन इस समय परस्पर पता लग रही हैं और उपचारित हो रही है। अस्थमा रोगियों के लिए कोरोना बीमारी बहुत घातक सिद्ध हो सकती है। इसलिए अस्थमा के मरीजों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी जरूरी है।
देहरादून के नेहरू कॉलोनी में स्थित चार धाम अस्पताल के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. केपी जोशी का कहना हैं कि मौसम में बदलाव होने के साथ वातावरणीय प्रदूषण से अस्थमा के मरीजों में दिक्कत बढ़ने लगती है। कोरोना में फेफड़ों में खून सप्लाई करने वाली नलियों में खून जमने लगता है। जिससे सेप्टीसीमिया और निमोनिया होने का डर रहता है। इससे शरीर में ऑक्सीजन का स्तर लगातार घटता है। जिससे अस्थमा के मरीजों में दिक्कत ज्यादा होने लगती है।
डॉ. जोशी ने कहा कि अस्थमा और कोरोना दोनों ही फेफड़ों से संबंधित रोग हैं। इसलिए कोविड के साथ ऑक्सीजन की जरूरत बढ़ सकती है, और साथ ही जल्द ऑक्सीजन की जरूरत पड़ सकती है। कोविड के साथ अस्थमा को ठीक होने में भी अधिक समय लगता है।
कोरोना में यह हो सकती है दिक्कत..
1- कोरोना काल में कई बार तनाव के चलते अस्थमा के अटैक बढ़ सकते हैं।
2- अस्थमा की बीमारी सामान्य होने में भी समय लगता है।
3- ऑक्सीजन की जरूरत जल्दी-जल्दी बढ़ सकती है।
बचाव के तरीके..
1- अस्थमा के मरीजों को धूल, धुंआ, परागकणों से बचने की जरूरत है।
2- भीड़भाड़ में जाने से पूरी तरह से बचें।
3- कोरोना का टीका जरूर लगवाएं।
4- अगर पहले से अस्थमा की दवाओं का सेवन कर रहे हों या इनहेलर ले रहे हों तो कोरोना होने पर भी बिना डॉक्टर की सलाह के उन्हें न छोड़ें।