प्रदेश अध्यक्ष के कार्यक्रम के दौरान एकजुट में नहीं दिखे कार्यकर्ता..
विधानसभा चुनाव को अभी काफी समय, प्रत्याशियों ने जोर आजमाइश की शुरू..
बागी कार्यकर्ता भी प्रदेश हाईकमान को खुश करने में लगे..
हारे प्रत्याशियों ने भी दिखाया दमखम, कांग्रेस पदाधिकारी कार्यक्रम से गायब-रोहित डिमरी..
रुद्रप्रयाग: जिले में कांग्रेस हाशिये पर नजर आ रही है। अभी विधानसभा चुनाव को काफी समय है और अभी से कांग्रेस कार्यकर्ता चार धड़ों में बंट गए हैं। ऐसे में जिले में कांग्रेस मजबूत होने के वजाय कमजोर होती नजर आ रही है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के जिले दौरे के दौराना ऐसा ही कुछ देखने को मिला। कांग्रेस कार्यकर्ता धड़ों में बंटे नजर आए तो यूथ कांग्रेस के केदारनाथ विधानसभा अध्यक्ष और रुद्रप्रयाग विधानसभा अध्यक्ष कार्यक्रम से गायब ही रहे। कार्यक्रम के बाद से जिले में चर्चाओं का बाजार गर्म है।
दरअसल, अपने पहले चरण के कार्यक्रम के तहत भाजपा की भ्रष्ट नीतियों के खिलाफ जनता के बीच जाकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने जनसभाएं आयोजित की। उनका कार्यक्रम रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय में भी था। कार्यक्रम में वे देर स्वयं को पहुंचे और इस दौरान सभी बहु चक्के रह गए। हुआ यूं कि जखोली ब्लाॅक प्रमुख प्रदीप थपलियाल उनके स्वागत में अपने होटल में कार्यकर्ताओं के साथ खड़े थे और उनके समर्थक उनके जय-जयकार के ज्यादा नारे लगाए हुए थे, जबकि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के नारे कई दूर तक भी नहीं सुनाई दिए। इसके अलावा पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मी राणा के कार्यकर्ता रुद्राबैंड में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के स्वागत में खड़े दिखे, जबकि पूर्व मंत्री मातबर सिंह कंडारी के कार्यकर्ताओं ने प्रदेश अध्यक्ष के स्वागत में पूरे मुख्यालय में पोस्टर और पम्पलेट लगा दिए।
पम्पलेट में उनके पुत्र राजीव कंडारी और कांग्रेस हाईकमान के आला पदाधिकारियों की तस्वीरें थी। ये तीनों ही कांग्रेस से आगामी विधानसभा के प्रबल दावेदार हैं, लेकिन अभी से इनमें एकजुटता कई नजर नहीं आ रही है। सभी अपनी-अपनी तरफ से कांग्रेस प्रदेश नेतृत्व को खुश करने में लगे हुए हैं। इसके अलावा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के जिला मुख्यालय आगमन पर यूथ कांग्रेस के केदारनाथ विधानसभा अध्यक्ष सुमन नेगी और रुद्रप्रयाग विधानसभा अध्यक्ष हैप्पी असवाल कार्यक्रम से गायब ही रहे।
उन्होंने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का स्वागत करना भी उचित नहीं समझा और कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी। बता दें कि ब्लाॅक प्रमुख जखोली प्रदीप थपलियाल वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में बागी के रूप में चुनाव लड़े। वे पूर्व मंत्री मंत्री प्रसाद नैथाणी के खासमखास माने जाते हैं और उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें टिकट मिलेगा और तैयारी में भी जुटे थे, मगर कांग्रेस प्रदेश नेतृत्व ने तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष सुश्री लक्ष्मी राणा पर भरोसा जताया और उन्हें टिकट दे दिया।
ऐसे में प्रदीप थपलियाल ने बगावत का रास्ता अपना लिया और टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ा और उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भी अपने पक्ष में कर लिया। ऐसे में कांग्रेस को विधानसभा रुद्रप्रयाग के चुनाव में बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। थपलियाल के बगावत करने का फायदा भाजपा प्रत्याशी को मिला और वे बम्पर वोट से जीत गए। ऐसा ही हाल पूर्व मंत्री मातबर सिंह कंडारी का भी है। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में माबतर सिंह कंडारी भाजपा के टिकट से चुनाव लड़े, जबकि उनके संबंधी डाॅ हरक सिंह रावत कांग्रेस से टिकट मिलने पर मजबूरन ही रुद्रप्रयाग से चुनाव लड़े।
उनकी रुद्रप्रयाग से चुनाव लड़ने की कोई मंशा ही नहीं थी, लेकिन पार्टी हाईकमान के सामने वे कुछ नहीं कर सके और उन्हें मजबूरन चुनाव लड़ना पड़ा और उन्होंने मात्र 14 दिनों में चुनाव जीतकर साबित कर दिया कि वे जिस भी विधानसभा में जाते हैं, वहां से चुनाव जीतकर आते हैं। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में पूर्व मंत्री मातबर सिंह कंडारी ने पुनः भाजपा से टिकट की दावेदारी की, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला और उन्होंने भाजपा को अलविदा कहते हुए कांग्रेस का दामन थामा। उस समय भी वे कांग्रेस से टिकट की दावेदारी कर रहे थे, मगर प्रदेश हाईकमान से तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष पर भरोसा जताकर उन्हें टिकट दिया।
अब फिर से ये तीन महारथी पुनः विधानसभा की तैयारियों में जुट गए हैं। ये तीनों ही राजनीति के धुरंधर हैं। जहां प्रदीप थपलियाल वर्तमान में ब्लाॅक प्रमुख जखोली की कुर्सी पर काबिज हैं तो मातबर सिंह कंडारी पूर्व में काबीना मंत्री रह चुके हैं और सुश्री लक्ष्मी राणा पहले से ही कांग्रेस की कार्यकर्ता के साथ ही जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी संभाल चुकी है।
अब तीनों ही आगामी विधानसभा की तैयारियों में जुट गए हैं, लेकिन इन्होंने कांग्रेस में अपने-अपने धड़ों को तैयार किया है और ये धड़े प्रदेश अध्यक्ष के जिला मुख्यालय दौरे के समय आम जनता को भी देखने को मिला, जिससे एकबार फिर से कांग्रेस हाशिये पर नजर आ रही है। राजनीतिक अर्थशास्त्रियों की माने तो कांग्रेस में गुटबाजी के कारण ही पार्टी प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ता है और जनता के मन में भी कांग्रेस के प्रति एक गलत भावना प्रवेश कर जाती है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस को संगठित होने की जरूरत है। कार्यकर्ताओं को एकजुट होना जरूरी है, तभी जाकर आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का सफलता हासिल हो सकती है। वहीं कांग्रेस छोड़ चुके जिला पंचायत उपाध्यक्ष सुमंत तिवाड़ी ने कहा कि कांग्रेस में अनुशासन नाम की कोई चीज नहीं है। पार्टी किसी भी व्यक्ति को टिकट दे देती है। कोई मजबूत कार्यकर्ता जब वर्षो से पार्टी की सेवा करके जनता के बीच रहता है तो पार्टी को उस पर भरोसा जताना चाहिए। ऐसा नहीं कि किसी के भी बहकावे में आकर टिकट दिया जाय, इससे पार्टी को ही नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में रहकर यह जान लिया है कि पार्टी कार्यकर्ताओं का कोई सम्मान नहीं है।
कांग्रेश पार्टी की जिले में स्थिति को देखते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता सुमन तिवारी ने भी पार्टी कार्यक्रमों से किनारा कर दिया है। वह कांग्रेस पार्टी कार्यक्रमों में पिछले कई महीनों से भाग नहीं ले रहे हैं। जबकि कभी उन्होंने रुद्रप्रयाग में पार्टी को मजबूती प्रदान की थी।