उत्तराखंड

विधानसभा बैकडोर भर्ती कर्मचारियों से अब हाईकोर्ट नैनीताल में दो-दो हाथ..

विधानसभा बैकडोर भर्ती कर्मचारियों से अब हाईकोर्ट नैनीताल में दो-दो हाथ..

उत्तराखंड सरकार ने कर ली तैयारी..

 

 

 

 

 

 

 

उत्तराखंड: विधानसभा बैकडोर भर्ती से हटाए कर्मचारियों के हाईकोर्ट जाने की संभावना को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने पहले ही अपना अधिवक्ता हाईकोर्ट में खड़ा कर दिया है। विधानसभा सचिवालय ने इस मामले में पैरवी के लिए अधिवक्ता विजय भट्ट को अधिकृत किया है। सरकार की कोशिश है कि हटाए गए कर्मचारी इस मामले में स्थगनादेश न ले पाएं। इसके लिए सभी कानूनी रास्ते अपनाए जा रहे हैं। विस सचिवालय में पूर्व स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल द्वारा की गई 150 और प्रेमचंद अग्रवाल द्वारा की गई 78 तदर्थ नियुक्तियां, वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी की सिफारिश पर शासन ने रद्द कर दी हैं। इसके बाद इन कर्मियों को नौकरी से हटाया जा रहा है। विधानसभा से हटाए गए कर्मचारी अब हाईकोर्ट की शरण में जा रहे हैं। कर्मचारी अपने परिचित अधिवक्ताओं से कानूनी राय ले रहे हैं।

कर्मचारी शासन द्वारा खत्म की गई अपनी सेवाओं को याचिका के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती देने की तैयारी है। सरकार भी इससे वाकिफ है। इसके चलते सरकार ने भी तैयारियां शुरू कर दी हैं। विधानसभा अनुसचिव हरीश कुमार की ओर से हाईकोर्ट में पैरवी के लिए अधिवक्ता विजय भट्ट को अधिकृत किया गया है। कर्मचारियों की ओर से याचिका दायर होते ही सरकार की ओर से दस्तावेज कोर्ट के समक्ष रखे जाएंगे।

मैंने कोई स्थायी और तदर्थ नियुक्तियां नहीं कीं : ऋतु..

‘मैंने कोई स्थायी या तदर्थ नियुक्तियां नहीं की हैं। और पूरे देश में मुख्यमंत्रियों, विधानसभा अध्यक्षों और मंत्रियों को अपना निजी स्टाफ रखने का अधिकार है।’ विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने शुक्रवार को यह बात कही। विधानसभा की बैकडोर भर्तियां रद्द करने के बाद स्पीकर खंडूड़ी की खूब वाहवाही हो रही थी।
इस बीच उनके निजी स्टाफ के कर्मचारियों की सूची सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो वे विपक्षी दलों के साथ ही लोगों के निशाने में आ गईं। भर्तियों को लेकर दो रुख अपनाने का आरोप लगाते हुए लोग तरह-तरह की टिप्पणी करने लगे। इस पर विधानसभा अध्यक्ष खंडूड़ी ने शुक्रवार को एक वीडियो जारी कर नियुक्तियों पर तस्वीर साफ की।

उनका कहना हैं कि उनके साथ सिर्फ निजी स्टाफ है। देशभर में सभी मुख्यमंत्रियों और विधानसभा अध्यक्षों को निजी स्टाफ रखने का अधिकार है। यह कोई नई चीज नहीं है। यह होता चला आ रहा है, यही मैंने भी किया। खंडूड़ी ने कहा कि ये नियुक्तियां नितांत कोटर्मिनस हैं, जिस दिन तक मैं चाहूंगी, ये स्टाफ रहेगा। जिस दिन मैं विधानसभा अध्यक्ष का पद छोडूंगी, उसी दिन ये पद खत्म हो जाएंगे। बकौल खंडूड़ी, उनका निजी स्टाफ न तो परमानेंट है और न तदर्थ। वे वेतन के अलावा विधानसभा से किसी तरह की सुविधा नहीं लेते हैं। यह कह देना कि मैंने अपने पर्सनल स्टाफ में कुछ बैकडोर भर्तियां की हैं, यह पूरी तरह गलत है।

 

 

 

 

 

 

 

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