उत्तराखंड

बेटे सेना में और घर पर आ गई आपदा…

अगस्त्यमुनि । कहते हैं कि मुसीबत अकेले नहीं आती। अगस्त्यमुनि विकासखंड के गिंवाला गांव में शिशुपाल सिंह रावत के परिवार के साथ भी ऐसा ही कुछ घटित हुआ। उनके दो बेटे सेना में है और इन दिनों पाकिस्तान बॉर्डर पर तैनात।

गाँव में पैतृक मकान अंधेरअंधेरगडी-धारतोलियूं मोटर मार्ग निर्माण के मलबे से खतरे में है, तो दूसरा मकान सौड़ी में चार धाम सड़क परियोजना की जद में आ गया है। अब उनका परिवार इस बरसात में बेघर हो गया है और अपने घर से करीब 500 मीटर दूर तिमलीखेत में यह लोग शरणार्थी का सा जीवन जी रहे हैं।

शिशुपाल सिंह की 80 वर्षीय माँ शांति देवी का कहना है कि 8 अगस्त की रात्रि उनके मकान के ऊपर भारी मलबा आ गया और घर पानी में भर गया। इस मकान के बगल की गौशाला में उनके अलावा एक दुधारू गाय भी है। उनके मकान के एक कमरे में बेसहारा अनुसूचित जाति का वृद्ध गैणूलाल भी रहता है लेकिन मध्यरात्रि को आये इस सैलाब से किसी तरह उनकी जान बची और अब उनको घर छोड़ने पर मजबूर कर दिया।

शिशुपाल सिंह के दो बेटे भारतीय सेना में अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर देश की रक्षा करने के लिए लगे हैं और घर में उनका परिवार, उनके मां-बाप और दादी बेसहारा और लाचार भरी जिंदगी जी रहे हैं। शिशुपाल सिंह ने कहा कि लोक निर्माण विभाग उखीमठ और राजस्व विभाग को भी लिखित सूचना दी, जांच पर अधिकारी आए लेकिन अभी तक उनके दुःख को कम करने की कोशिशें नहीं हुई। इस घटना के बाद उनका परिवार तिमलीखेत में प्रमोद सिंह बुटोला के मकान में शरण लिए हुए है। दिन भर कार्य करने के लिए पुराने मकान में आते हैं और सांझ ढले ही रोटी खाकर रात्रि निवास के लिए वापस चले जाते हैं ।

सौड़ी बाजार में उनका मकान चारधाम सड़क परियोजना में कट रहा है उसे खाली करने का नोटिस मिल गया और घर में बना पैतृक मकान अंधेरगडी- धारतोलियों मोटर मार्ग के मलबे से खतरे की जद में आ गया है। इस सड़क निर्माण में लोनिवि के अभियंता और ठेकेदारों ने मनमाने तरीके से यह सड़क का बैंड उनके मकान के ऊपर काटा। ऐसे लापरवाह लोगों पर भी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। उनका कहना है सरकार उनके रहने की व्यवस्था करें उनको मकान बनाने के लिए जगह दे।

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