कैप्टन यशपाल ने बढ़ाया उत्तराखंड का मान, विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित…
बालाकोट स्ट्राइक की योजना में निभाई थी महत्वपूर्ण भूमिका..
उत्तराखंड : उत्तराखंड के जांबाज युद्ध नायकों के शौर्य की कहानियां पूरी दुनिया में मशहूर हैं। यहां के लोगों की देशभक्ति का कोई जवाब नहीं। सेना में बहादुरी दिखाने के मामले में उत्तराखंड का बड़ा नाम है। एयर फोर्स के ग्रुप कैप्टन यशपाल सिंह नेगी ऐसे ही जांबाज बहादुरों में से एक हैं। भारत ने पाकिस्तान को हर बार मुँह तोड़ जवाब दिया हैं उरी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक हो या फिर बालाकोट की कार्यवाही, दोनों ने पाकिस्तान की नींद गायब कर दी थी।
पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के बालाकोट इलाके में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी लॉन्चपैड पर बम गिराने की योजना बनाने और उसे अंजाम देने वाले उत्तराखंड के लाल को वायु सेना दिवस पर दो पदकों से सम्मानित किया गया है। इस बार एयर फोर्स डे के मौके पर वायु सेना ने जिन जांबाजों को सम्मानित किया, उनमें देहरादून के रहने वाले ग्रुप कैप्टन यशपाल सिंह नेगी भी शामिल हैं।
बालाकोट के लिए उन्हें युद्ध सेवा मेडल जबकि वायु सेना में उल्लेखनीय सेवा के लिए उन्हें विशिष्ट सेवा मेडल से नवाजा गया। वायु सेना के 88वें स्थापना दिवस पर बृहस्पतिवार को गाजियाबाद स्थित हिंडन वायु सेना स्टेशन में आयोजित कार्यक्रम में वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल राकेश कुमार भदौरिया ने उन्हें यह पदक प्रदान किए। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भी उन्हें वायु सेना मेडल के लिए सम्मानित किया जा चुका है।
ग्रुप कैप्टन यशपाल सिंह नेगी मूलरूप से टिहरी गढ़वाल के निवासी हैं। वर्तमान में उनका परिवार देहरादून में रहता है। उनकी शुरुआती पढ़ाई पुरानी टिहरी के कॉन्वेंट स्कूल में हुई। आगे की पढ़ाई के लिए वो सैनिक स्कूल लखनऊ गए। वह 1990 में एनडीए में चयनित हुए। उस समय उनकी ऑल इंडिया में पांचवीं रैंक आई थी।
वह एक कॉम्बेट पायलेट हैं जो वायु सेना में फाइटिंग भी करते हैं, मिसाइल भी छोड़ते हैं और पूरी रणनीति भी तैयार करते हैं। वायु सेना दिवस पर दो-दो मेडल लेकर न केवल उन्होंने अपने माता-पिता का नाम बल्कि उत्तराखंड का नाम भी ऊंचा किया है। इस वक्त ग्रुप कैप्टन यशपाल सिंह नेगी एयर फोर्स स्टेशन श्रीनगर में तैनात हैं। उन्होंने हर पहाड़वासी को खुद पर गर्व करने का अवसर दिया है।