उत्तराखंड

उत्तराखंड के इस कृषि एवं अनुसंधान केंद्र को एक साथ मिले चार नए वैज्ञानिक..

उत्तराखंड के इस कृषि एवं अनुसंधान केंद्र को एक साथ मिले चार नए वैज्ञानिक..

 

 

 

उत्तराखंड: लंबे अर्से के बाद कृषि एवं अनुसंधान केंद्र सुईं को एक साथ चार नए वैज्ञानिक मिले हैं। वैज्ञानिकों ने कार्यभार ग्रहण करने के बाद गांवों का भ्रमण कर यहां की भौगोलिक स्थिति का अध्ययन भी शुरू कर दिया है। लंबे समय से महत्वपूर्ण विभागों के वैज्ञानिकों के पद खाली होने से जिले के काश्तकारों को केंद्र की गतिविधियों का लाभ नहीं मिल पा रहा था। वैज्ञानिकों की नियुक्ति के बाद अब केंद्र के कार्यों में तेजी आने की संभावना है।

 

 

चंपावत जिले के किसान लंबे समय से यहां वैज्ञानिकों के रिक्त पदों को भरने की मांग कर रहे थे। 10 साल बाद केंद्र में सब्जी वैज्ञानिक की नियुक्ति से जिले में औद्यानिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलने की संभावनाएं फिर से प्रबल हो गई हैं। काश्तकारों की मांग पर पंतनगर कृषि विश्व विद्यालय ने यहां एक साथ चार वैज्ञानिकों को भेज दिया है। जिन वैज्ञानिकों ने कार्यभार ग्रहण किया है उनमें उद्यान वैज्ञानिक डा. रजनी पंत, शस्य वैज्ञानिक डा. पूजा पांडेय, पादप वैज्ञानिक डा. भूपेंद्र सिंह खड़ायत और पशुपालन वैज्ञानिक डा. सचिन पंत शामिल हैं। वैज्ञानिकों की टीम ने दूरस्थ गांवों का भ्रमण शुरू कर दिया है।

 

उद्यान वैज्ञानिक डा. रजनी पंत का कहना कि जिले में सब्जी उत्पादन काफी अच्छा हो रहा है, लेकिन फल उत्पादन काफी कम है। उनका प्रयास फल उत्पादन को बढ़ावा देना है। ताकि यहां के लोग फलोत्पादन को रोजगार का हिस्सा बना सकें। शनिवार को उन्होंने सुई, कोयाटीगूंठ, बाराकोट, बोराबुंगा गांवों में जाकर सब्जी और फल उत्पादन की जानकारी ली।

 

पादप वैज्ञानिक डा. भूपेंद्र खड़ायत, पशुपालन वैज्ञानिक डा. सचिन पंत एवं शस्य वैज्ञानिक डा. पूजा पांडेय ने भी गांवों का भ्रमण शुरू कर संबंधित क्षेत्र में चल रही गतिविधियों का अध्ययन किया। केंद्र के प्रभारी वैज्ञानिक डा. एमपी सिंह का कहना हैं कि नए वैज्ञानिकों ने कार्यभार ग्रहण कर लिया है।

 

डा. एके सिंह ने दिया था सब्जी उत्पादन को बढ़ावा..

केविके सुई में सब्जी वैज्ञानिक के रूप में वर्ष 2004 से 2010 तक कार्यरत रहे डा. एके सिंह ने जिले में सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन किया था। उन्होंने पॉलीहाउस खेती, पॉलीटनल, मल्चिंग, टपक सिंचाई आदि विधियों को काश्तकारों तक पहुंचाया। जिले में सब्जी उत्पादन में हुई प्रगति को उनके प्रयासों से जोड़कर देखा जाता है। उनके पूसा में प्रमोशन होने के बाद केंद्र में दो साल के लिए सब्जी वैज्ञानिक की नियुक्ति हुई। लेकिन 10 साल से यहां सब्जी वैज्ञानिक का पद खली पड़ा हुआ था।

 

 

 

 

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