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 आखिर क्यों हनुमान के रूप में घर-घर पूजे गए दारा सिंह जानिए वजह ..

 आखिर क्यों हनुमान के रूप में घर-घर पूजे गए दारा सिंह जानिए वजह ..

 

देश – विदेश : हिंदी और पंजाबी सिनेमा के मशहूर अभिनेता दारा सिंह आज भी लोगों के बीच अपने दमदार किरदार के लिए जाने जाते हैं। रामानंद सागर की रामायण से घर-घर मशहूर हुए दारा सिंह अभिनय ही नहीं बल्कि अपनी पहलवानी के लिए भी देश- विदेश में जाने जाते हैं। 19 नवंबर 1928 को अमृतसर (पंजाब) के गांव धरमूचक में जन्मे दारा सिंह का असली नाम दीदार सिंह रंधावा था। एक प्रतिभाशाली अभिनेता होने के साथ ही वह मशहूर पहलवान और निर्माता-निर्देशक भी थे। दारा सिंह ने हिंदी सिनेमा की कई फिल्मों और टीवी सीरियल्स में काम किया। आज ही के दिन साल 2012 में दारा सिंह ने दुनिया को अलविदा कह दिया है। उनकी पुण्यतिथि पर जातने हैं अभिनेता के जीवन से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें-

दारा सिंह ने दुनिया के कई बड़े- बड़े पहलवानों को धूल चटाई। अपने समय के कई नामी पहलवानों मात देने वाले दारा सिंह ने 500 से ज्यादा प्रोफेशनल रेसलर्स से कुश्ती लड़ी। खास बात यह है कि कुश्तियों के इन मुकाबलों में उन्होंने कभी भी हार का सामना नहीं किया। उनकी इसी उपलब्धि के चलते उन्हें ‘रुस्तम-ए-पंजाब’ और ‘रुस्तम-ए-हिंद’ का खिताब दिया गया था। इतना ही नहीं उन्होंने उस जमाने के मशहूर पहलवान 200 किलो के किंग कॉन्ग को भी पछाड़ा था।

दारा सिंह की लंबाई 6 फुट 2 इंच थी, जबकि उनका वजन 130 किलो और छाती 54 इंच थी। 20 साल की उम्र में साल 1948 में वह सिंगापुर चले गए, जहां उन्होंने ड्रम बनाने वाली मिल में काम किया। इसी दौरान अपनी कद-काठी को देखते हुए उन्होंने कुश्ती में आने का फैसला किया। इसके बाद उन्होंने हरमान सिंह से कुश्ती की ट्रेनिंग ली। पांच साल तक फ्री स्टाइल रेसलिंग में नाम कमाने वाले दारा सिंह भारत आकर 1954 में इंडियन कुश्ती चैम्पियन बने। पहलवानी में कई रिकॉर्ड अपने नाम करने वाले दारा सिंह ने 1983 में उन्होंने पहलवानी से संन्यास ले लिया था।

कुश्ती के साथ ही दारा सिंह ने सिनेमा की ओर भी रुख करने का फैसला कर लिया था। अपने इस फैसले पर आगे बढ़ते हुए उन्होंने साल 1952 में आई फिल्म ‘संगदिल’ से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की। इसके बाद कुछ साल तक उन्होंने फिल्मों में छोटे-मोट किरदार ही किए। साल 1962 में दारा सिंह को बाबूभाई मिस्त्री की फिल्म ‘किंग कॉन्ग’ में बतौर लीड एक्टर काम करने का मौका मिला। दारा सिंह ने अपने फिल्मी करियर के दौरान 500 से ज्यादा फिल्मों में काम किया था। दारा सिंह के भारी-भरकम शरीर की वजह से अभिनेत्रियां फिल्मों में उनके साथ काम करने से घबराती थीं।

उन्होंने 16 फिल्मों में अभिनेत्री मुमताज के काम किया, जिसमें 10 फिल्में सुपरहिट रहीं थी। उस समय दारा सिंह एक फिल्म चार लाख रुपये चार्ज करते थे। अभिनय के अलावा उन्होंने सात फिल्मों के लिए कहानी भी लिखी थी। साल 1978 में आई फिल्म ‘भक्ति में शक्ति’ का लेखन और निर्देशन दारा सिंह ने ही किया था। उन्होंने फौलाद, मेरा नाम जोकर, धर्मात्मा, राम भरोसे, मर्द सहित कई बॉलीवुड फिल्मों में काम किया। अभिनेता की आखिरी फिल्म ‘जब वी मेट’ थी, जिसमें शाहिद कपूर और करीना कपूर लीड रोल में थे। दारा सिंह को सात जुलाई 2012 को दिल का दौरा पड़ने के बाद उन्हेंं मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन स्वास्थ्य में ज्यादा सुधार न देखते हुए परिवार वाले उन्हें घर ले आए और 12 जुलाई 2012 को हिंदी सिनेमा के इस सितारे ने दुनिया को अलविदा कह दिया।

 

 

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