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अमेरिका का राष्ट्रपति बनने वाला वो शख्स जो बीबी के डर से नहीं जाता था घर

अमेरिका का राष्ट्रपति बनने वाला वो शख्स जो बीबी के डर से नहीं जाता था घर

देश-विदेश : 6 नवंबर 1860 को अब्राहम लिंकन अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति बने थे। सादगी, कर्मठता और ईमानदारी के साथ आज भी अब्राहम लिंकन सबसे सफल राष्ट्रपतियों में गिने जाते हैं। उससे भी बड़ी बात थी, उनका बेहद गरीब पृष्ठभूमि से निकलते हुए राष्ट्रपति की गद्दी पर पहुंचना। हालांकि, अब्राहम लिंकन जितने ही सहज और सरल थे, उनकी पत्नी उतनी ही लड़ाकू, खुदगर्ज और लालची थी।

अब्राहम लिंकन की पत्नी को अमेरिकी राष्ट्रपतियों के इतिहास में सबसे लालची पत्नी के रूप में भी याद किया जाता है। लिंकन की जीवनी लिखने वाले कई लेखकों ने तो यहां तक लिख दिया है कि उनकी पत्नी उनसे लगातार लड़ती ही नहीं थी। इतना ही नहीं कई बार वो पत्नी की हाथापाई के भी शिकार बने। अब्राहम लिंकन का दांपत्य जीवन कलह से भरा हुआ था।

 

 

लिंकन के जन्म को लेकर ज्यादातर किताबों में यही कहा गया है कि कड़ाके की सर्दी में लकड़ी के फट्टों से बनी एक झोपड़ी में पैदा हुए थे। इसके बाद मिलो चलकर पढ़ने के लिए जाते थे, किताब उधार में लेनी पड़ती थी और रात में अंगूठी या लोहार की दुकान में जल रही भट्टी की रोशनी में बैठकर पढ़ते थे। इन सब से यह बात तो साफ थी कि लिंकन ने अपनी जिंदगी में खासा मुश्किलों का सामना किया था। ऐसे में अब्राहम लिंकन खेती मजदूरी पढ़ाई इन सब से गुजर कर इमानदार वकील बने।

इसके बाद अपनी काबिलियत और इमानदारी के दम पर अब्राहम लिंकन अमेरिका के 16 राष्ट्रपति बने। अब्राहम लिंकन के बारे में अक्सर लोग कहते हैं कि गरीबी और शुरुआती राजनीतिक विफलताओं को उनके जीवन की सबसे दुखदाई और त्रासद घटना के रूप में जानते हैं, लेकिन ऐसे में कई किताबों में उनकी असल जिंदगी की त्रासदी उनकी पत्नी को बताया गया है। जिसके पीछे उनके जीवन का एक विशेष किस्सा भी जुड़ा है। उनके दांपत्य जीवन में भी उन्हें खासा खुशियां हासिल नहीं हुई।

साल 1842 में स्प्रिंगफील्ड कस्बे में मेरिट आडा से अब्राहम लिंकन की शादी हुई। उनके सबसे करीबी और 20 साल तक वकालत की दुनिया में उनके घनिष्ठ रहे विलियम हैंड्रेन ने लिंकन पर लिखित उनकी जीवनी में बताया है कि विवाह का दिन लिंकन के लिए खुशी का आखिरी दिन था। मैरी टॉड का जिक्र करते हुए हैंड्रेन ने कहा कि वह ऊंची राय रखने वाली घमंडी और नकचड़ी महिला थी, जो बात बात पर अपना आपा खो देती थी और यह बात अब्राहम लिंकन के साथ-साथ पूरा शहर जानता था।

मैरी टॉड के विषय में उनकी बहन का भी यही कहना था कि मैरी को चमक-धमक और प्रदर्शन काफी पसंद था। वह काफी महत्वकांक्षी महिला थी। वो हमेशा यही कहती थी कि वह इसी से शादी करेंगी जो अमेरिका का राष्ट्रपति बनेगा। उस समय परिवार में उनकी यह बात सबको मजाक लगती थी, लेकिन इस पर अड़ी रही।

साल 1842 में अक्टूबर महीने में मेरी और अब्राहम लिंकन की शादी हुई। कई दिनों तक यह कैथरीन नाम की एक महिला के यहां किराए पर रहे। अब्राहम पर लिखी किताब में हैंड्रेन ने कैथरीन का भी जिक्र किया गया है, जिसमें बताया गया है कि मैरी टॉड लिंकन के साथ जानवरों जैसा व्यवहार करती थी। इस दौरान उन्होंने घटना का जिक्र करते हुए बताया कि एक समय व सुबह नाश्ता करते हुए बेहद नाराज हो गई थी और इस दौरान उन्होंने लिंकन के मुंह पर गरम चाय का प्याला फेंक दिया था।

अपनी किताब में बताया है कि मैरी लिंकन को बिल्कुल पसंद नहीं करती थी। वह उनके कपड़े पहनने या रहन-सहन की हर बात पर नाराज हो जाती थी। वह हर समय लिंकन पर चिल्लाती थी और उन्हें घर से निकाल देती थी। यही कारण था कि लिंकन घर पर बेहद कम समय बिताना ही पसंद करते थे। मैरी उनके फीचर्स को लेकर भी उन्हें काफी ताने दिया करती थी।

मैरी और लिंकन के चार बच्चे थे, जिनमें दो काफी कम उम्र में ही गुजर गए थे। ये वो वक्त था जब लिंकन राजनीति की दुनिया का रुख कर चुके थे। लिंकन अक्सर अपने काम में डूबे रहते थे और इनकी पत्नी घर के कामों में व्यस्त रहती थी। दोनों के बीच का यह रुख रिश्ता काफी लंबा चला। साल 1861 में अब्राहम लिंकन राष्ट्रपति बने। इस दौरान मैरी बीमार रहने लगी। उन्हें माइग्रेन की शिकायत हो गई। धीरे-धीरे वह डिप्रेशन का भी शिकार होने लगी।

इन दिनों मैरी को फिजूलखर्ची की खासा आदत लग गई। शहर में ज्यादातर लोग उन्हें एक बिगड़ैल औरत और फिजूलखर्ची करने वाली महिला के तौर पर जानने लगे। वही डॉक्टरों का कहना था कि मैरी बाइपोलर डिसऑर्डर का शिकार हो रही है।

इसके बाद साल 1865 का युद्ध खत्म होने के बाद जब अमेरिका के लोगों ने सुकून की सांस ली। इस दौरान मैरी और अब्राहम लिंकन भी एक साथ एक नाटक देखने थिएटर गए। वहां अब्राहम लिंकन की हत्या हो गई। अब्राहम लिंकन की मौत से मैरी गहरे सदमे में चली गई। इसके बाद वह अपने बच्चों के साथ शिकागो में ही रहने लगी।

1870 में मैरी को करीबन 40 लाख रुपए सालाना यानी 3000 डॉलर पेंशन के तौर पर मिलने लगे। मगर मैरी का मानसिक संतुलन इतना खराब हो चुका था कि उन्हें लगता था कि वह सब कुछ खो देंगी। मैरी का यह फोबिया धीरे-धीरे बढ़ने लगा और ऐसे में वह कई बार हंगामा भी करती। ऐसे हालातों में उन्हें संभालना काफी मुश्किल हो जाता था।

 

 

लिंकन की मौत के बाद से मैरी हमेशा ही काले रंग के कपड़े पहनती थी। मगर इस दौरान एक बेहद अजीब बात थी मैरी को सब कुछ खो देने का फोबिया इतना ज्यादा सताने लगा था कि कंगाल होने के डर से वह 56000 डॉलर के सरकारी बॉन्ड को अपने पेटीकोट में सिल कर शहर में घूमा करती थी।

साल 1880 तक मैरी की हालत काफी खराब हो गई थी। ऐसे में एक दिन वह अचानक गिर गई और उन्हें गहरी चोट लग गई। इस चोट से वह कोमा में चली गई और कोमा के कुछ दिन बाद ही 63 साल की उम्र में उनकी मौत हो गई। मैरी को लेकर लिखित कई किताबों में मैरी की इन व्यवहारों का जिक्र किया गया है। मैरी की मानसिक दशा ठीक नहीं थी इस बात का जिक्र लिंकन पर आधारित जीवनी और मैरी पर लिखित किताबों में भी किया गया है।

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