उत्तराखंड

जीवों को सड़क दुर्घटना से बचाने के लिए तैयार किया 70 मीटर लंबा इको ब्रिज..

जीवों को सड़क दुर्घटना से बचाने के लिए तैयार किया 70 मीटर लंबा इको ब्रिज..

उत्तराखंड: वन विभाग जंगली जानवरों को बचाने के लिए नई-नई योजनाएं बनाता रहता है। अब वन विभाग ने एक ओर पहल की है। इस बार भालू, हाथी और बाघों के लिए नहीं बल्कि छिपकली, कछुआ, मगरमच्छ, सांप, घड़ियाल और गिरगिट जैसे सरीसृप वर्ग के जीवों को बचाने के लिए अद्भुत पहल की है। कालाढूंगी रेंज में इको ब्रिज बनाया गया है।

सड़क के ऊपर बनाए लकड़ी के इस 70 मीटर लंबे ब्रिज से रेंगने वाले जीव आसानी से आ-जा सकेंगे। सरीसृप वर्ग के जीवों को सड़क दुर्घटना से बचाने के लिए कालाढूंगी रेंज में इको ब्रिज बनाया गया है। सड़क के ऊपर बनाए लकड़ी के इस ब्रिज से रेंगने वाले जीव आसानी से इधर-उधर जा सकेंगे।

 

 

कालाढूंगी रेंज के वन क्षेत्राधिकारी अमित कुमार ग्वासाकोटी ने बताया कि दो लाख की लागत से 70 मीटर लंबा इको ब्रिज पुल का निर्माण किया गया है। पुल निर्माण में रस्सी, बांस और घास का प्रयोग किया गया है।
इको ब्रिज से सरीसृप प्रजाति के जीव जंगलों के बीच से गुजर रही सड़क को आसानी से पार कर पाएंगे। कालाढूंगी-नैनीताल रोड के लाल मिट्टी इलाके में इस पुल का निर्माण किया है। वन विभाग ने करीब दस दिन में यह पुल तैयार किया है।

मिश्रित वनों में ज्यादा रहते हैं सरीसृप प्रजाति के जीव..

कालाढूंगी के पुल निर्माण वाले इलाके में मिश्रित वनों का क्षेत्रफल ज्यादा है। साथ ही बौर नदी भी इस इलाके में बहती है। मिश्रित वन होने के चलते इनमें सरीसृप प्रजाति के जीव रहना ज्यादा पसंद करते हैं।

सरीसृप प्रजाति के जीव पेड़, बिलों और पानी में रहते हैं। कालाढूंगी की भौगोलिक परिस्थितियां इन जानवरों के लिए अनुकूल हैं। मिश्रित वन (घना जंगल) के बीच सड़क गुजरती है। इसके चलते अधिकतर प्राणी हादसों का शिकार हो जाते हैं। इसे देखते हुए वन विभाग ने इको ब्रिज तैयार किया है।

 

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