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6 करोड़ रुपए भी नहीं मचला सके महिला का मन..

6 करोड़ रुपए भी नहीं मचला सके महिला का मन..

उधारी में टिकट खरीदने वाले ग्राहक को सौंपा उसका इनाम..

सोशल : यह कहावत तो आपने जरूर सुनी होगी कि पैसा अच्छों-अच्छों का ईमान डिगा देता है. अक्सर हमने ऐसा होते हुए भी देखा ही होगा. लेकिन कई लोगों की ईमानदारी को दुनिया का कोई लालच हिला भी नहीं सकता है. इन दिनों देश में एक ऐसी ही कहानी लोगों के लिए चर्चा का विषय बनी हुई है. दरअसल अलुवा के रहने वाले पी के चंद्रन ने एजेंट स्मिजा के. मोहन से अपने लिए समर बम्पर लॉटरी का एक टिकट रोक कर रखने के लिए कहा था. इसके साथ ही ये भी कहा था कि लॉटरी के टिकट के दाम 200 रुपए का भुगतान वो बाद में कर देंगे. इसके बाद जो हुआ यकीनन वो किसी को भी हैरान कर देगा.

 

 

 

अब जिस टिकट के लिए ग्राहक ने भुगतान तक नहीं किया था, उस पर 6 करोड़ रुपए की लॉटरी लग गई. मगर इसके बावजूद भी एजेंट स्मिजा के. मोहन का ईमान तनिक भी नहीं डगमगाया. स्मिजा ने देखा कि ये टिकट चंद्रन ने रुकवाया हुआ है तो वे फौरन उनके घर गईं और 200 रुपए लेकर टिकट उन्हें थमा दिया. जी हां, ऐसा हकीकत में हुआ है, इसलिए हर कोई इसका सुर्खियों में छाना तय था. इस वाकये के बारे में बात करते हुए स्मिजा ने कहा कि टिकट सौंपने के बाद से लोग मेरी ईमानदारी की तारीफ कर रहे हैं, लेकिन असल में यही मेरा काम है.

 

 

 

स्मिजा ने साथ ही कहा कि लोगों को समझना होगा कि यह बिजनेस ही ईमानदारी भरोसे का है और हमें ईमानदार होना होगा, क्योंकि मेहनत की कमाई से टिकट खरीदने वाले हर ग्राहक के सहारे ही हमारी रोजी-रोटी चलती है. स्मिजा के. मोहन दो बच्चों की मां हैं, उन्होंने साल 2011 में अपने पति के साथ मिलकर राजागिरी हॉस्पिटल के पास एक लॉटरी की स्टॉल शुरू किया था, काम अच्छा चलने पर उन्होंने 5 लोगों का स्टाफ रख लिया. पति-पत्नी दोनों Kakkanad में स्थित सरकारी प्रेस में नौकरी करते थे. लेकिन जब उनकी नौकरी छूट गई तो उन्होंने लॉटरी के बिजनेस को खुद चलाने का फैसला कर लिया.

 

 

 

संडे का दिन था और नियमित ग्राहक भी स्मिजा के आस-पास नहीं आ रहे थे. ऐसे में उन्होंने लॉटरी के ग्राहकों के एक वॉट्सऐप ग्रुप में भी टिकटों को खरीदने को लेकर सूचना डाली. हालांकि, कोई सभी 12 टिकटों को खरीदने के लिए तैयार नहीं था. यह तब था जब मैंने चंद्रन से संपर्क किया तो उन्होंने मुझे टिकटों की तस्वीर भेजने को कहा और बाद में मुझे अपनी पसंद के नंबर के साथ फोन किया, वो आगे कहती हैं, जैसे ही उन्हें विजेता के बारे में सूचना मिली तो वह जल्दी से जल्दी जीत का टिकट उन्हें सौंप देना चाहती थीं.

 

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