उत्तराखंड

37 लाख महिलाओं को मिलेगा जमीन का मालिकाना हक- सीएम रावत..

37 लाख महिलाओं को मिलेगा जमीन का मालिकाना हक- सीएम रावत..

उत्तराखंड: प्रदेश की करीब 37 लाख महिलाओं (बालिग) के जीवन में नया सवेरा आया है। प्रदेश मंत्रिमंडल ने बुधवार को राज्य की सभी बालिग महिलाओं को भूमि का मालिकाना हक देने का नीतिगत फैसला कर लिया है। वे भूमि के खातों में किस तरह से खातेदार बनेंगी, यह तय करने के लिए कैबिनेट ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन कर दिया है।

कमेटी में अपर मुख्य सचिव (मुख्यमंत्री), सचिव राजस्व और सचिव न्याय को शामिल किया गया है। यह कमेटी महिलाओं को संपत्ति में स्वामित्व देने पर विचार करेगी और अगली कैबिनेट की बैठक में अपनी रिपोर्ट रखेगी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने यह घोषणा की। बुधवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई बैठक में सैद्धांतिक तौर पर निर्णय ले लिया गया। शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि कैबिनेट ने फैसला ले लिया है और अब कमेटी अपने सुझाव देगी, जिन पर आगामी कैबिनेट बैठक में फैसला लिया जाएगा।

 

 

बकौल कौशिक भूमि पर अधिकार मिल जाने के बाद  महिलाएं अपने नाम पर दर्ज संपत्ति पर स्वरोजगार के लिए बैंकों से ऋण ले सकेंगी, वे आर्थिक रूप से मजबूत होंगी। बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में कुल 13 प्रस्ताव आए, जिनमें से 11 को मंजूरी मिल गई।

महिलाओं के आत्मनिर्भर बनने की खुलेगी राह..

उत्तराखंड की आर्थिकी की धुरी माने जाने वाली मां और बालिग बेटियों के आत्मनिर्भर होने की राह खुलेगी। यह उन्हें जमीन पर मालिकाना हक मिलने से मुमकिन होगा। राज्य में काम कर रहे स्वयं सहायता समूह में शामिल कई महिलाओं ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से यह शिकायत की थी कि वे अपने दम पर स्वरोजगार स्थापित करना चाहती हैं लेकिन उनके पास पूंजी नहीं हैं।

 

 

काम धंधा शुरू करने के लिए बैंक उन्हें लोन नहीं देते हैं क्योंकि उनके नाम कोई संपत्ति नहीं हैं। इसके बाद मुख्यमंत्री ने प्रदेश की सभी बालिग महिलाओं को भूमिधरी का अधिकार देने की घोषणा की। इस घोषणा के बाद बुधवार को कैबिनेट ने भी अपनी सहमति दे दी। अब कैबिनेट को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी के सुझावों के मिलने का इंतजार रहेगा।

एक लाख पीएम आवास का रास्ता साफ, आवास नीति में संशोधन..

कृषि भूमि पर आवासीय निर्माण पर रोक की वजह से लटके एक लाख प्रधानमंत्री आवास का रास्ता साफ हो गया है। प्रदेश सरकार ने आवास नीति में संशोधन को मंजूरी दे दी है। संशोधन के तहत बिल्डरों को आवासीय कॉलोनियों में कमजोर वर्ग के लिए बनाए जाने वाले घरों को योजना से जोड़ने का निमंत्रण दिया गया है।

हाईकोर्ट ने कृषि भूमि पर आवासीय कालोनी बनाने पर रोक लगा रखी है। लेकिन राज्य सरकार ने 2020 में नीति संशोधन कर यह प्रावधान कर दिया था कि पात्र व्यक्ति अपनी निजी कृषि भूमि पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर बना सकता है। आवास नीति में नए संशोधन के तहत पीएम आवास योजना में बिल्डर के लिए नया गलियारा खोल दिया गया है।

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