उत्तराखंड

लाकडाउन में भी 108 सेवा ने नहीं दिया साथ,लैब टेक्नीशियन ने किया महिला का सफल ईलाज

जब डाक्टर ने किये हाथ खडे तो लैब टेक्नीशियन ने किया महिला का सफल ईलाज

रुद्रप्रयाग/गुप्तकाशी। कभी-कभी जीवन में योग्यता से ज्यादा हिम्मत बडा सा बडा काम भी आसान बना देती है। यह हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि हम आपको जिस जानकारी से अवगत करवाने जा रहे हैं वह कुछ इसी ओर संकेत कर देती। महिला के चेहरे पर जिस नासूर फोडे के इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के डाक्टर ने हाथ खडे कर दिए वही उसी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के लैब टेक्नीशियन ने महिला को असहाय दर्द दे रहे फोडे का सफल इलाज कर दिया। इस बात की चर्चा आजकल इलाके भर में की जा रही है।

दरअसल न्याय पंचायत ल्वारा के अंतर्गत तुलंगा गांव निवासी सुनीता देवी उम्र 26 वर्ष पत्नी विजय सिंह के चेहरे पर भारी भरकम फोड़े हो रखा था। लाकडाउन होने के कारण वे समय पर अस्पताल नहीं जा पाये परिणामस्वरूप फोडा दिन प्रतिदिन नासूर बनकर असहनीय दर्द देने लगा। ऊपर से सुनीता देवी 6 माह की गर्भवती भी है। बताया जा रहा है कि कुछ दिन पूर्व फोड़े के ईलाज के लिए सुनीता देवी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गुप्तकाशी पहुंची जहाँ फोड़े की भयावह स्थिति को देखते हुए चिकित्सक ने सर्जरी की बात कहते हुए उन्हें आगे जाने की बात कही।सुनीता छ: माह की प्रेगनेंट होने के साथ-साथ इन दिनों चल रहे लाकडाउनà में आगे जाने का जोखिम उठाना उसके बस में नहीं था। बावजूद “मरता क्या ना करता” कि स्थिति में उन्होंने आगे जाने का निर्णय लिया।

108 आपाकालीन सेवा को कई बार काॅल की गई लेकिन 108 सेवा के द्वारा काॅल रिसीव नहीं की गई। इस मुश्किल घडी में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र गुप्तकाशी के एक स्वास्थ्य कर्मी सुरेश तिवारी देवदूत बनकर उनके इलाज के लिए आगे आ गये। सुरेश द्वारा उनकी परेशानी न देखी गई और उनके इलाज का बीड़ा उठा लिया। बडी बात यह है कि सुरेश डाक्टर नहीं हैं बल्कि वे एक लैब टेक्नीशियन हैं लेकिन दिल में दया और मन में भरे हौसले के चलते सुरेश ने जोखिम लेते हुए उनके फोड़े पर चीरा देकर इलाज आरंभ किया। सुरेश के द्वारा महिला को नि:शुल्क दवाई भी दी गई।

महिला का समय समय दवा के साथ देखरेख के बाद अब सुनीता देवी पूर्ण रुप से स्वास्थ्य हो चुकी हैं। तुलंगा के प्रधान नवीन रावत बताते हैं कि यह महिला के लिए किसी भगवान से कम नहीं हैं। जब ईलाजा के लिए डाक्टर ने भी हाथ खडे कर दिए थे और आगे जाने के लिए न तो 108 सेवा थी और न अन्य वाहन। इस मुश्किल समय में सुरेश तिवारी द्वारा ईलाज कर महिला को नया जीवन दिया गया है। सुरेश के इस कार्य की पूरे क्षेत्र में भूरी भूरी सराहना की जा रही है।

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