उत्तराखंड

जानिए, आपदा के चार साल बाद कितनी बदली गौरीकुंड की तस्वीर

आपदा में सबसे ज्यादा नुकसान झेलने वाले गौरीकुंड में आखिरकार इस बार रौनक दिखाी दे रही है। बड़ी संख्या में यात्री यहां पर रात्रि को रह रहे हैं, हालांकि आज भी पुर्ननिर्माण के कार्य नामात्र होने से यहां तप्त कुंड का निर्माण भी नहीं हो पाया है। सुरक्षा दीवार के साथ ही पार्किंग भी नहीं बन पाई है।
केदारनाथ यात्रा का मुख्य पड़ाव गौरीकुंड का आधा हिस्सा वर्ष 2013 की आपदा में मंदाकिनी नदी में बह गया था। आपदा के बाद से यह क्षेत्र अनाथ सा हो गया था। यहां तक कि गौरीकुंड को जोड़ने वाला गौरीकुंड हाईवे भी सोनप्रयाग से आगे बुरी तरह क्षतिग्रस्त होने से तीन वर्षो से गौरीकुंड सड़क मार्ग से नहीं जुड़ पाया था।

इस बार सड़क से जुड़से गौरीकुंड में पुरानी रौनक आ गई है। यहां पर इस वर्ष बड़ी संख्या में यात्री रात्रि को ठहर रहे हैं। आपदा से पूर्व की भांति यहीं से धाम के लिए आवाजाही कर रहे हैं। अकेले गौरीकुंड में पंद्रह हजार व्यापारी विभिन्न व्यवसाय से यात्रा से जुड़े हैं।

हालांकि इस सबके बावजूद गौरीकुंड में आज भी पुर्ननिर्माण कार्य जस के तस पड़े हैं। मोटर मार्ग से यह फिर से जरूर जुड़ा है, लेकिन यहां पर तप्त कुंड आज भी बन कर तैयार नहीं हुआ है। मंदाकिनी नदी पर सुरक्षा दीवारों का कार्य शुरू नहीं हो सका है।पूर्व में यहां पर तीन पार्किंग हुआ करती थी, जिसमें एक हजार से अधिक वाहन पार्किंग होते थे। आज तक यहां पर वाहन पार्किंग का निर्माण शुरू नहीं हो सका है।

गौरामाई का मंदिर क्षतिग्रस्त हुआ था, जो जिसे फिर से बना दिया गया है। गौरीकुंड के पूर्व व्यापार संघ अध्यक्ष मायाराम गोस्वामी कहते हैं कि सरकार ने गौरीकुंड के प्रति उपेक्षात्मक रवैया अपनाया। आपदा के बार सोनप्रयाग व केदारनाथ में करोड़ो के पुर्ननिर्माण कार्य करवाए गए, लेकिन गौरीकुंड को प्राथमिकता नहीं दी गई। यह कसबा यात्रा की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण है।केदारनाथ यात्रा का गौरीकुंड के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण स्थल सोनप्रयाग में आपदा के चार वर्ष बाद एक बार फिर से रौनक है। आपदा में यह कसबा पूरी तरह तबाह हो गया था। वर्तमान में यहां पर तीन अरब से अधि के पुर्ननिर्माण कार्य सरकार द्वारा कराए गए हैं, जिससे धीरे-धीरे सोनप्रयाग की तस्वीर बदल रही है।

यहां पर विदेशी तकनीक से एक्रो ब्रिज का निर्माण कराया गया जबकि डेढ़ करोड की लागत से आधुनिक बहुमंजिला पार्किंग व शापिंग कांप्लैक्स बनाया जा रहा है। इसका नब्बे फीसद कार्य पूरा हो चुका है। इतना सब कुछ होने के बावजूद सोनप्रयाग कसबे के आस पास आपदा के निशान साफ देखे जा सकते हैं। सोनप्रयाग में मंदाकिनी नदी के कटाव को रोकने के लिए आज भी कोई उपाय नहीं किए गए हैं। आज भी सुरक्षा दीवार न होने से सोनप्रयाग को खतरा बना है, बरसात में यहां कभी भी मंदाकिनी नदी का रुख एक बार फिर मुड गया तो तबाही मच जाएगी। इसके अलावा सीतापुर, रामपुर में भी आपदा के बाद की स्थितियां नहीं बदली।

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